Book Title: Varttaman Chaturvinshati Jina Pooja
Author(s): Bakhtavarsinh
Publisher: Bakhtavarsinh

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Page 231
________________ चौबी० पूजन संग्रह ५७३ जन्म तप; ज्ञान, निर्वाण पंचकल्याण प्राप्ताय अक्षय पदप्राप्तये अक्षतान् निर्वपामीति स्वाहा ॥ पुष्प-केवडा गुलाब और केतकी चुनाइये, धार चर्णके समीप काम को हनाइये । पार्श्वनाथ देव सेव - आपकी करूंसदा, दीजिये निवास मोक्ष भूलिये नहीं,कदा ॥ ॐ ह्रीं श्रीपार्श्वनाथ जिनेंद्रीय गर्भ, . जन्म, तप, ज्ञान, निर्वाण पंच कल्याण प्राप्ताय कामवाण विनाशनाय पुष्पं निर्वपामीति स्वाहा ।। नैवेद्य-घेवरादि बावरादि मिष्ट सय में सनें, आपं चर्ण अर्च ते क्षुधादि रोग को हने । पार्श्वनाथ देव सेव आपकी करूंसदा, दीजिये निवास मोक्ष भूलिये नहीं कदा॥ ॐह्रीं श्रीपार्श्वनाथ जिनेंद्राय गर्भ ... जन्म, तप, ज्ञान, निर्वाण पंच कल्याण प्राप्ताय क्षुधारोग विनाशनाय ने द्यं निर्वपामीतिस्वाहा ॥ दीप-लाय रत्न दीप को सनेह पूरके भरूं, बातिका कपूरवार मोह ध्वांत को हरू । पाश्वनाथ देव सेव ... आपकी करूंसदा, दीजिये निवास मोक्ष भूलिये नहीं कदा॥ ॐ ह्रीं श्रीपार्श्वनाथ जिनेंद्राय गर्भ, ___ जन्म,तप, ज्ञान, निर्वाण पंचकल्याण प्राप्ताय मोहांधकार विनाशनाय दीपं निर्वधामीति स्वाहा ॥ धूप-धूप गंध लेयके सु अग्नि संग जारिये, तास धूप के सु संग कम अष्ट वारिये । पार्श्वनाथ देव सेव आप की करूं सदा, दीजिये निवास मोक्ष भूलिये नहीं कदा ॥ ॐह्रीं श्रीपार्श्वनाथ जिनेंद्राय गर्भ, जन्म, तप, ज्ञान, निर्वाण पंचकल्याण प्राप्तय अष्टकर्मदहनाय धूपं निर्वामीति स्वाहा ।। फल-क्षारकादि चिर्भटादि रत्नथार में भरूं, हर्ष धार के जजू समोक्ष सौख्यको वरूं। पार्श्वनाथ देव सेव आपकी करूं सदा, दीजिये निवास मोक्ष भूलिये नहीं कदा ॥ ॐ ह्रीं श्रीपाश्र्वनाथ जिनेंद्राय ना

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