Book Title: Varttaman Chaturvinshati Jina Pooja
Author(s): Bakhtavarsinh
Publisher: Bakhtavarsinh

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Page 229
________________ चौबी० सगिरिनार आये ॥८॥ नमें सिद्ध को लौंच कीनो प्रवीना। दिने छप्पने में महा ध्यान कीना। पूजन | जबै घातिया जोर छिन में उडायो । लहों ज्ञान भानं तिहूं लोक छायो ॥ ९॥ समवसरण की इंद्र , संग्रह शोभा बनाई। शुची डेढ योजन आनंद दाई ॥ गणाधीश ग्यारह सु झेलें हैं बाणी । लहैं राज मोक्षं _ ५७१ सुनें भव्य प्राणी ॥ १०॥घने सात से वर्ष में भव्य तारे। गयो उर्जयंतं सवै योग टारे ॥ भये सिद्ध स्वामी तिहूं लोक जानं । सबै इंद्र कीने सुपंचम कल्याणं ॥११॥ नम चर्ण तेरे अजी संग लीजे। छुटे भवकी फेरी यही दान दीजे । सुनों अर्ज मेरी जगन्नाथ नामी। करो देर छिन ना अहो नेमि स्वामी ।। - पत्ता छंद-रजमतिसी नारी ततक्षिन छारी वर शिव नारी ततकाला। तिन की थुति कीनी चित धर लोनी पातग हीनी गुण माला ॥१३॥ .: ॐ ह्रीं श्रीनेमिनाथ जिनेन्द्राय गर्भ, जन्म, तप, ज्ञान, निर्वाण पंचकल्याण प्राप्ताय अनर्घ ‘पद प्राप्तये महाघ निर्वपामीति स्वाहा। - अथ आशीर्वादः । अडिल-नेमीश्वर पद कमल तनी पूजा करें। अलिसम कर अनुराग भक्ति उर में धरें। ते पावें भव पार कहै बखता सही। रतन कहे मन लाय ऋद्धि पावें वही॥ .. . इत्याशीर्वादः। इति श्रीनेमिनाथजिन पूजा संपूर्णा ॥ २२॥ !.

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