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.पजन
चौवा० ... अर्घ करा ॥ श्री वीर कुमारं शिवदातारं पाप निवारं सुखकार । सुंदर आकारं ज्ञान भंडारं जग
हितकारं जितमारं । ॐ ह्रीं श्रीमहावीर जिनेन्द्राय गर्भ, जन्म, तप, ज्ञान, निर्वाण पंचकल्याण संग्रह प्राप्ताय अनर्घ्य पद प्राप्तये अर्घ निर्वपामीति स्वाहा ॥ . ५८०
(अथ पंच कल्याणक) छन्दलक्ष्मीधरा। गर्भ-षाढसित छठ को गर्भ मातासही, आइयो त्याग के स्वर्ग सोलं कही । होत आकाशते रत्न
वरषाघनी, देव देवी सर्व से माता ठनी। रों ह्रीं श्रीमहावीर जिनेंद्राय आषाढ शुक्ल षष्ठी गर्भ
कल्याण प्राप्ताय अर्घ निर्वपामीति स्वाहा ॥ जन्म-चेत सित ब्रोदसी जन्म लीनो महा। नारकी दो घडी सर्व साता लहा। मेरु पै इंद्र नागेंद्र ने
पूजियो, मैं जजू अर्घ ले वेग त्यारीजियो। ऊ ह्रीं श्रीमहाबीर जिनेंद्राय चैत्र शुक्ल त्रयोदशी
जन्म कल्याण प्राप्ताय अर्घ निर्वपामीति स्वाहा। तप-मार्गशीर्षा दसैं स्याम की आइयो, तादिना आप चिद्रूप को ध्याइयो । धार षष्ठं महा दान गोक्षीर
को,लीजियो आपने मैं जजू वीर को। ॐ ह्रीं श्रीमहाबीर जिनेन्द्राय मार्गशिर कृष्ण दशमी तपः
कल्याण प्राप्ताय अर्घ निर्वपामीति स्वाहा । ज्ञान-घात चौ कर्म को ज्ञान पायो मा