Book Title: Varttaman Chaturvinshati Jina Pooja
Author(s): Bakhtavarsinh
Publisher: Bakhtavarsinh
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चौबी० पूजन
संग्रह ५७४
गर्भ, जन्म, तप, ज्ञाननिर्वाण पंचकल्याण प्राप्ताय मोक्षफल प्राप्तये फलं निर्वपामीति स्वाहा ॥ अर्घ-नीर गंध अक्षतं सुपुष्प चारु लीजिये,दीप धूपं श्रीफलादि अर्घ तें जजीजिये । पार्श्वनाथ देव सेव
आपकी करूं सदा, दीजिये निवास मोक्ष भूलिये नहीं कदा ॥ ॐ ह्रीं श्रीपार्श्वनाथ जिनेंद्राय गर्भ, जन्म, तप, ज्ञान, निर्वाण पंच कल्याण प्राप्ताय अनर्घ्य पदप्राप्तये अर्घ निर्वपामीति स्वाहा ॥
__ अथ पंचकल्याणक । छंद पायता। गर्भ-शुभ प्राणत स्वर्ग विहाये, वामा माता उर आये।वैशाख तनीदुतकारी, हम पूजें विघ्न निवारी॥ ___ ॐह्रीं श्रीपार्श्वनाथ जिनेंद्राय वैशाख कृष्ण द्वितीया गर्भ कल्याण प्राप्ताय अर्घ निर्वपामीति स्वाहा । जन्म-जन्में त्रिभुवन सुखदाता,कलिकादशि पौष विख्याता।स्यामातन अद्भुतराजे,रवि कोटिकतेजसुलाजे
ॐह्रीं श्रीपार्श्वनाथ जिनेंद्राय पौष कृष्ण एकादशी जन्म कल्याण प्राप्तायअनिर्वपामीति स्वाहा। तप-कलि पौष इकादशि आई, तब बारह भावना भाई। अपने कर लौंच सुकीना, हम पूजें चर्नजजीना
ॐ ह्रीं श्रीपार्श्वनाथ जिनेंद्राय पौष कृष्ण एकादशी तपः कल्याण प्राप्ताय अर्घ निर्वपामीति स्वाहा ज्ञान-वह कमठ जीव दुखकारी,उपसर्ग कियो अति भारी। प्रभु केवल ज्ञान उपाया, अलि चैतचौथ दिन
. गाया॥ॐ ह्रीं श्रीपार्श्वनाथ जिनेंद्राय चैत्र कृष्ण चतुर्थी ज्ञान कल्याणप्राप्ताय अर्घ निर्वपामीति स्वाहा निर्वाण-सित सावन सातैआई शिवनार तवै जिनपाई। सम्मेदाचल हरिमाना, हमपूजें मोक्ष कल्याना . ___ॐह्रीं श्री पार्श्वनाथ जिनेंद्राय श्रावण शुक्ल सप्तमी मो कर र

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