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चौबी०
अथ पंचकल्याणक। पूजन संग्रह 'गर्भ-भ्रमर सावन दशमी गाइयो, कुषमात श्रीकांता आइयो। धनद देव आय बरषाकरो, हम जजें
धन मान वही घरी ॥ ॐ ह्रीं श्री कुंथुनाथ जिनेंद्राय श्रावण कृष्ण दशमी गर्भ कल्याण प्राप्ताय
अर्घ निर्वपामीति स्वाहा ॥ जन्म-कुंथु जिनवर जन्म लियो जबै, हरिन के विष्टर कांपेतबे, शुकल एकम जान बैशाखजी, हम
जजे करके अभिलाष जी ॥ ॐ ह्रीं श्री कुंथुनाथ जिनेंद्राय वैशाख शुक्ल प्रतिपदा जन्म कल्याण
प्राप्ताय अर्घ निर्वपामीति स्वाहा॥ तप-जनम को दिन पावन आइयो, चित विषे बैराग सुभाइयो । राज षट् खंड को तुम त्यागियो,
ध्यान में प्रभु आप सुलागियो ॥ ॐ ह्रीं श्री कुंथुनाथ जिनेंद्राय बैशाख शुक्ल प्रतिपदा तपः
कल्याण प्राप्ताय अर्घ निर्वपामीति स्वाहा । ज्ञान-चैत उजियारी तृतिया जु है, जिन सुपायो केवल ज्ञान है । सभा द्वादश में वृष भाषियो, भव्य
जन सुन के रस चाखियो । ॐह्रीं श्री कुंथुनाथ जिनेंद्राय चैत्र शुक्लतृतीया ज्ञान कल्याण प्राप्ताय
अर्घ निर्वपामीति स्वाहा ॥ निर्वाण-कर सुयोग निरोध महान है, गिरि समेदथकी निरवान है । प्रतिपदा बैशाख उजास में