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चौबी० - पूजन .. संग्रह
रहूं लवलाय ॥ ११ ॥ भयो सौख्य सो कह्यो न जाय । सकल सिद्धि में आज लहाय ॥ तुम गुण को पाऊं नहिं ओर। कर बौनती युग कर जोर ॥ १२॥ वखतावर रतना इम भनी। हम को दीजे त्रिभुवन धनी ॥ भवभव शरण तिहारी इंश । पावें सदाज हे जगदीश ॥ १३ ॥
..पत्ता छन्द-शीतल गुण केरी माल उजेरी टारत फेरी भवरी । जे पूज रचावें मंगल गावें तिन घर रामा कै चेरी ॥ १४ ॥ ॐ ह्रीं श्रीशीतलनाथ जिनेन्द्राय गर्भ, जन्म, तप, ज्ञान, निर्वाण पंचकल्याण प्राप्ताय अनर्घ पद प्राप्तये महाघ निर्वपामीति स्वाहा। अथ आशीर्वादः-सोरठा-शीतलनाथ जिनंद, जे पूजे मन लाय के ।
पढे पाठ सुखकंद, सो पावें संपत अर्षे ॥ १५॥ इत्याशीर्वादः ।।
इति श्रीशीतलनाथजिन पूजा संपूर्णा ॥ १० ॥