________________
· चौबी० गई काढने को भई फूल माला, भई है विख्यातं सबै दुःख टाला ॥ ९॥ इन्हें आदि देके कहां लो
पूजन बखाने, सुनो वृद्ध भारी तिहुँ लोक जानें । अजी नाथ मेरी जरा ओर हेरों, बडी नाव तेरी रती बोझ संग्रह मेरो ॥ १०॥ गहो हाथ स्वामी करो वेग पारा, कहूं क्या अवै आपनी में पुकाराः । सबै : ज्ञान के बीच ५३६ भासी तुम्हारे, करो देर नांही अहो संत प्यारे ॥११॥
. घत्ता छंद-श्रीशांति तुम्हारी कीरति भारी सुन नर नारी गुण माला । वखतावर ध्यावे रतनसुगावे मम दुःख दारिद सबटाला ॥१२॥ॐ ह्रीं श्री शान्तिनाथ जिनेन्द्राय गर्भ, जन्म, तप, ज्ञान, निर्वाण पंचकल्याण प्राप्ताय अनर्घपद प्राप्तये.महाऽघं निर्वपामीति स्वाहा ।।।
: अथ आशीर्वादः । शिखरिणी छंद-अजी ऐरानंदं छवि लखत है आय अरनं, धरें लज्जा भारी : करत थुति सो लाग चरनं । करे सेवा कोई लहत सुख सोसार छिन में, घनें दीना त्यारे हम चहत हैं ... बास तिन में ॥ १३॥ इति आशीर्वादः । इति श्रीशांतिनाथजिन पूजा संपूर्णा ॥१६॥