Book Title: Valmiki Ramayana Pada Suchi Part 2
Author(s): Govindlal H Bhatt
Publisher: Oriental Research Institute Vadodra

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Page 23
________________ १८८ करिष्यामि न संदेहः I. 30.16a ,, संशय: II. 74.30d पितुर्वचः II. 34.52d पितुर्हितम् II. 21.34d प्रियं हि वः IV. 59.24d भविष्यामि V. I.86c महाभुज VI. 80.40b यथाप्राणम् VI. I9.23c यथार्थ तु VI. 18.32a यथा स्थलम् VI. 22.26f __यदीप्सितम् IV. 16.8b ,, वने वसन् II. 52.54b , शस्तीक्ष्णः II. 21.I0c करिष्यामीति धर्मतः II. II8.38d ,, यः कार्यम् VI. 6.10c करिष्यामो न संशयः VI. 13.8b करिष्याम्यद्य सायकैः III. 64.68d करिष्येऽहं नरर्षभ IV. 36.10b करिष्ये तव विप्रियम् III. 49.12d ., परमां प्रीतिम् VI. 80.18c ,, प्रति जाने च II. I8.30c , प्रियमा मन: VI. 12.351) ,, मैथिली हेतोः III. 64.65a बोऽत्र पूजा वै I. 10.15c , शोणितीक्षितम् II. 96.20b ,, सर्वमेवाहम् II. 39.2a ,, सर्वनेबैतत I. 13.5c ., लाह्य मुनमम् IV. 58.12d करीरान्त्रकुल निम्बान VI. 22.55c . करीव भात्युग्रनिवृत्तईष्टः VI. 59.15c करीषैः शीतकारणात् II. 99.7d करुणं च निनदन्तम् VI. 96.3-10 करुणतरं द्विगुणं च रामहेतोः II. 59.33b करुणं दीनया वाचा IV. 12.28c ,, पापकर्मणा III. 49.38d करुणं भयमोहिता V. 32.50 ,, वाक्यमब्रुवन् IV. 53.20d ,, विललाप ह III. 53.56 , शोककर्शिता VI. 48.ud ,, साधुभाषितम् V. 40.12b , V. 67.24d ,, साश्रुपातनम् IV. 1.25b ,, साश्रुभाषितम् V. 38.471) करे गृहीत्वा लज्जन्तीम् VII. 26.20c करेण तस्य तं खङ्गम् VI. 76.gc , तु करें तस्या: VII. 12.I7c करेणव इवारण्ये II. 65.20c करेणाभिनिवेश्य च VI. 76.53b करेणुपरिवारितः II. I03.41) करेणुभिर्यथारण्ये V. H.I2c करेणुमातङ्गरथाश्वसंकुलम् II. 16.47a. करेणुमिव दिग्धेन II. I0.26a करेणुशिशुकल्पैश्च II. 16.30a करेणुसङ्गस्य यथा VI. 92.12c करेणुहस्तप्रतिम: V. 27.45a करेगनामिवर्षमः II. 42.17d करेणूनां यथा वने VI. 91.35d ,, सहस्त्रस्य VII. 32.3c करेणैकेन जग्राह VI. 98.I7c ,, शैलाग्रम् VI. 57.700 करेल्वेव ग जाधिपम् V. 21.ISl ,, महागज: VII. 5.50 करेण्वो हतयूथप: VI. I0.8d करवमिवांशुमान् VI. 43.20d करोति च न मे रुजम् V. 53.30b ,, चाधीमुलं तत् VII. 74.20a ,, जनकात्मजा II. 38.8d ,, सफलं जन्तोः V. I2. IIC ,, स्म सुदुष्कृतम् VII. 30.18d करोतु परिषन्मध्ये VII. 95.6c Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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