Book Title: Vajjalagga me Jivan Mulya
Author(s): Kamalchand Sogani
Publisher: Prakrit Bharti Academy

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Page 8
________________ प्रकाशकीय डॉ. कमलचन्द जी सोगारणी द्वारा चयनित एवं सम्पादित " वज्जालग्ग में जीवन-मूल्य" नामक पुस्तक प्राकृत भारती के पुष्प 44 के रूप में पाठकों के समक्ष प्रस्तुत करते हुए प्राकृत भारती अकादमी, जयपुर और श्री जैन श्वेताम्बर नाकोड़ा पार्श्वनाथ तीर्थ, मेवानगर को हार्दिक प्रसन्नता है । प्राकृत भाषा में रचित सुभाषितों / सूक्ति कोषों की परम्परा में " वज्जालग्गं" का अनुपम स्थान है । महाकवि हाल की गाहासतसई के पश्चात् सूक्ति कोषों में " वज्जालग्गं" प्रमुख रचना मानी जाती है । गाहा सत्तसई की अपेक्षा भी विषय निर्धारण कर मुक्ताओं का एक ही स्थान पर संकलन इसकी प्रमुख विशेषता है । जिस प्रकार महाकवि हाल ने गाहा सत्तसई में सूक्ति गाथा के पश्चात् गाथाकर्त्ता कवि का नामोल्लेख किया है, परन्तु इसमें जयवल्लभ ने कवियों के नाम नहीं दिए है, यह खटकने वाली बात अवश्य है । कवियों के नाम न होने से यह किस कवि की या किस ग्रन्थ की गाथा है, जानकारी प्राप्त नहीं होती । वज्जालग्गं की अनेक रसपेशल एवं सरस गाथायें ध्वन्यालोक, काव्य प्रकाश, साहित्यदर्पण, काव्यानुशासन, सरस्वती कण्ठाभरण आदि प्रचुर ग्रन्थों में उद्धृत हैं, परन्तु कहीं भी वज्जालग्गं का नामोल्लेख नहीं है । सम्भव है साहित्य - शास्त्र के प्राचार्यों ने अन्य किसी स्रोत से उक्त गाथायें प्राप्त की हों ! 1 जयवल्लभ ने चउपन्नमहापुरुष चरियं, लीलावई, कुवलयमाला, भवभावना प्रभृति जैन रचनात्रों की गाथायें भी इसमें संकलित की हैं । Jain Education International For Personal & Private Use Only [ क www.jainelibrary.org

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