Book Title: Vajjalagga me Jivan Mulya
Author(s): Kamalchand Sogani
Publisher: Prakrit Bharti Academy

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Page 67
________________ (चित) व 3 / 1 सक । जंपइ ( जंप ) व 3 / 1 सक। लम्बिरो ( लज्जिर) 1 / 1 वि होइ (हो) व 3/1 अक । 8. बिट्ठा ( दिट्ठ) भूकृ 1 / 1 ( दुक्ख ) 2 / 1 | जंपता ( जंप ) वकृ 1 / 2 सयलसोक्खाई [ ( सयल) वि - ( सोक्ख ) 2 / 2]। विहिणा (विहि ) 3 / 1। (सुयरण) 1/2 । जं (अ ) = कि । निम्मिया (निम्म) सुकयं ( सु-कय ) भूक ( भुवरण) 7 / 1 । अनि । हरंति (हर) व 3 / 2 सक। सुक्ख बेंति (दा) व 3 / 2 सक। एवं 9. न ( अ ) = नहीं । हसंति ( हस) व 3 / 2 सक । परं ( पर) । (थुव) व 3 / 2 सक । अध्ययं ( अप्पय ) 2 / 1 । ( सय) 2 / 2 ] जंपति ( जंप ) व 3 / 2 सक। सुयणसहावो [ ( सुयण) - ( सहाव ) 1 / 1 ] | ताण' (त) 4 / 2 सवि । पुरिसाणं (पुरिस) 4 / 2 | नमो 1. 'नमो' के योग में चतुर्थी होती है । 38] (ए) 1 / 1 सवि । Jain Education International 1 / 1 पनि । सुयणा भूकृ 1 / 2 | भुवरले 1 10. प्रकए ( क ) भूकृं 7 / 1 अनि । वि (प्र) = तथा । कए (कन ) भूकृ 7 / 1 अनि । वि (प्र) = भी। पिए (पिन) 7 / 1 वि । पियं (पिय) 2 / 1 वि । कुणंता (कुण) व 1 / 2 | जयम्मि ( जय ) 7 / 11 वीसंति (दीसंति) व कर्म 3/2 सक अनि । कयविप्पिए [ ( कय) भूकृ अनि - ( विप्पिन) 7/1 वि ] । वि ( अ ) = भी। हु ( अ ) किन्तु । कुणंति ( कुरण) व 3/2 सक । ते (त) 1/2 सवि । बुल्लहा ( दुल्लह) 1/2 वि । सुयणा ( सुयण) 1 / 2। 2 / 1 । थुवंति पियसयाह [ ( पिय) वि एसो ( एत) 1 / 1 सवि । (प्र) = नमस्कार । भणसि ( भरण) व 2/1 संक । 11. फरसं (फरस) 2 / 11 न ( प्र ) = नहीं । मणिप्रो ( भरण) भूकृ 1 / 1 । वि (प्र) = भी। हससि (हस ) व 2 / 1 श्रक । हसिऊण (हस) संकृ । जंपसि ( जंप ) व 2 / 1 सक । पियाई ( पिय) 2 / 2 वि । सज्जण ( सज्जरग ) 8 / 1 | तुज्झ ( तुम्ह) 6 / 1 स । सहावो For Personal & Private Use Only [ वज्जालग्ग में www.jainelibrary.org

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