Book Title: Vajjalagga me Jivan Mulya
Author(s): Kamalchand Sogani
Publisher: Prakrit Bharti Academy
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(चित्त) 4 / 2]। पुब्वमिलियाणं [ ( पुव्व) क्रिविध = पूर्व में - (मिल ) भूकृ 4 / 2 ] । गयणट्ठियो [ ( गयरण ) - (ट्ठि) भूकृ 1 / 1]। बि (प्र) = भी। चंदो (चंद) 1 / 1 | आसासई (प्रासास) व 3 / 1 सक | कुमुयाई [ ( कुमुय ) - ( सड) 1 / 2 ] |
=
केण ( क ) 3 / 1
।
होइ (हो) व 3 / 1 प्रक | परिओसो
32. एमेव ( अ ) इसी प्रकार । कह वि ( अ ) = किसी तरह । कस्स (क) 4 / 1 सवि । वि ( अ ) = भी। सवि । वि (प्र) = भी। विद्वेण (दिट्ठ) भूकृ 3 / 1 अनि ( परिनोस) 1 / 1 | कमलायराज ( कमलायर ) 3 / 11 कि ( कि) 1 / 1 सवि । कजं ( कज्ज) 1 / 1। स । वियसंति ( वियस ) व 3 / 2 अक ।
6/21
33. कलो (प्र) = कहाँ से । उग्गमइ ( उग्गम ) व 3 / 1 अक । रई ( रइ) 1 / 1 | कतो ( अ ) = श्रौर कहाँ । वियसंति (वियस ) व 3 / 2 प्रक | पंकयवणाई [ ( पंकय ) - ( वरण) 1/2 ]। सुयरणाण (सुयरण ) 6 / 21 जए (जन) 7/1 नेहो (नेह) 1 / 1 । न ( अ ) = नहीं । चलइ (चल) ब 3 / 1 अक । दूरट्ठियाणं [ (दूर) अ = दूर - (ट्ठिय) भूकृ 6/2 अनि ] (अ) = भी।
। पि
रहणा (रह)
जेण (ज) 3/1
34. संतेहि (संत) 3 / 2 वि । असंतेहि (प्रसंत) 3 / 2 वि । य ( अ ) = तथा । परस्स (पर) 6 / 1 वि । कि ( कि) 1 / 1 सवि । जंपिएहि (जंप ) भूकृ 3 / 2 | बोसेहि (दोस) 3 / 2 | अस्थो ( प्रत्थ) 1 / 1 । जसो (जस) 1 / 1 । न ( अ ) = नहीं । लम्मइ ( लब्भइ ) व कर्म 3 / 1 सक श्रनि । सो (त) 1 / 1 स । वि ( अ ) = किन्तु । अमिलो ( प्रमित्त) 1 / 1 को (क) भूकृ 1 / 1 अनि । होइ (हो) व 3 / 1 अक ।
35. सील (सील) 1 / 1 । वरं (प्र) = श्रेष्ठतर । कुलाओ (कुल) 5 / 1। बालि ( दालिद्द) 1 / 1 | भव्वयं ( भव्व) 1 / 1 स्वार्थिक 'य' प्रत्यय वि । च (प्र) = तथा रोगाओ (रोग) 5 / 1 । विज्जा (विज्जा) 1 / 1। रज्जाउ
44 ]
[ वज्जालग्ग में
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