Book Title: Vajjalagga me Jivan Mulya
Author(s): Kamalchand Sogani
Publisher: Prakrit Bharti Academy

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Page 80
________________ ( रिद्धि) 1 / 1 । पेच्छामि (पेच्छ) व 1 / 1 सक । सयललोए [ ( सयल) वि- (लोभ) 2/2] 1 ते (त) 1/2 । मह (भ्रम्ह ) 6 / 11 लोया (लोय) 1 / 21 नं (प्र) = नहीं । पेच्छति (पेच्छ) व 3 / 2 सक । · 2. कभी कभी षष्ठी विभक्ति का प्रयोग द्वितीया विभक्ति के स्थान पर पाया जाता है । ( हेम प्राकृत व्याकरण: 3 - 134 ) 60. जे (ज) 1/2 स । गुणिनो ( गुरिण ) 1/2 वि । वि ( अ ) = भी। माणिणो (मारिण) 1 / 2 वि । वियढसंमाणा [ ( वियक) वि - ( संमाण) 1/2] | बालि (दालिद्द) 8 / 1 | रे ( अ ) = हे । बिक्खण (वियक्खरण) 8 / 1 व 1 ताम (त) 4 / 2 स तुमं ( तुम्ह ) 1 / 1 स । सानुराओ [ ( स + अणुरानो) (स-प्रणुराश्र) 1 / 1 वि] । सि (अस) व 2 / 1 अक । 61. बीसंति (दीसंति) व कर्म 3 / 2 | । अनि । जोयसिद्धा [ ( जोय ) - (सिद्ध) भूकृ 1 / 2 अनि ] | अंजरसिद्धा [ ( अंजण) - (सिद्ध) भूकृ 1 / 2 अनि ] । वि (ध) = भी। के ( क ) 1/2 स वि ( अ ) = ही बारिद्दनोयसिद्धं [ ( दारिद्द) - (जोय ) - (सिद्ध) भूकृ 2 / 1 अनि ) ]। मं ( म्ह) 2 / 1 स | ते (त) 1/2 स । लोया (लोय) 1 / 2। न ( प्र ) = नहीं । पेच्छति (पेच्छ) व 3 / 2 सक । 62. संकुयइ (संकुय) व 3 / 1 प्रक। संकुयंते (संकुय) वकृ 7 / 1 | वियसर ( वियस ) व 3 / 1 एक । वियर्सतयम्मि ( वियस ) वकृ 'य' स्वार्थिक प्रत्यय 7 / 1 सूरम्मि (सूर ) 7 / 1। सिसिरे (सिसिर ) 7/1 रोरकुसुमं [ (रोर) वि- (कुडु ब) 1 / 1] | पंकयलीलं [ ( पंकय ) - ( लीला) 2 / 1] । समुब्वहइ (समुव्वह) व 3 / 1 सक 63. ओलग्गिओ (प्रोलग्ग ) भूकृ 1 / 1 । सि (अस) व 2 / 1 नक | धम्मम्मि (धम्म) 7 / 11 होज्ज (हो) विधि 2 / 1 अक । एन्हिं (प्र) = प्र | नारद (नरिद ) 8 / 1 । वच्चामो ( वच्च) व 1 / 2 सक । आलिहियकुंजरस्स [ ( श्रालिहिय) भूक - ( कु जर ) 6 / 1 ] । व ( अ ) = जैसे । तुह जीवन-मूल्य ] Jain Education International For Personal & Private Use Only [ 51 www.jainelibrary.org

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