Book Title: Vajjalagga me Jivan Mulya
Author(s): Kamalchand Sogani
Publisher: Prakrit Bharti Academy

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Page 81
________________ ( तुम्ह ) 6 / 1 भी स । पहु ( पहु) 8 / 1 | दाखं (दाण) 1 / 1 विय ( प्र ) = न ( प्र ) = नहीं । विट्ठ ( दिटू) भूकृ 1 / 1 अनि । = 64. भग्गे (भग्ग ) भूकृ 7 / 1 अनि । वि ( अ ) भी । बले' (बल) 7 / 1 । लिए ' ( वल) भूकृ 7 / 1। साहले ' (साह) 7 / 1। सामिए ( सामिश्र ) 7 / 1 । निरुच्छा (निरुच्छाह ) 7 / 1 वि । नियभुयविक्कमसारा [ ( निय) वि - (भुय) - (विक्कम ) - (सार) 5 / 1] थक्कंति ( थक्क) व 3 / 2 अक । कुलुग्गया [ (कुल) + (उग्गया ) ] [ (कुल) - ( उग्गय ) 1/2 वि ] | ( सुहड) 1 / 21 सुहा 1. यदि एक क्रिया के बाद दूसरी क्रिया हो तो पहली क्रिया में कृदन्त का प्रयोग होता है और यदि कर्तृवाच्य है तो कर्ता और कृदन्त में सप्तमी विभक्ति होगी, यदि कर्मवाच्य है तो कर्म और कृदन्त में सप्तमी विभक्ति होगी, कर्ता में तृतीया । श्रक । अंगं ( अंग ) 65. वियलs ( वियल) व 3 / 1 प्रक | धणं (धरण) 1 / 1 | न ( अ ) = नहीं । माणं (माग) 1 / 11 झिज्जइ (भिज्ज) व 3 / 1 1 / 1 पथावो (पाव) 1 / 1। रूवं ( रूव) चलइ (चल) व 3/1 अक । फुरणं (फुरण) 1 / 1। सिविरले (सिविरण) 7 / 1 । वि (प्र) 1 / 1 = भी। मर्णसिसत्या [ ( मसि ) व (सत्य) 6 / 2 ] । : 66. हंसो ( हंस) 1 / 1 सि (अस) व 2 / 1 अक । महासरमंडलो [ ( महासर) ] धवलो ( धवल) 1 / 1 । धवल ( धवल ) 8 / 1 किं - ( मंडण ) 1 / 1 (क) 1 / 1 सवि । तुज्झ ( तुम्ह ) 6 / 1। खलवायसाण [ (खल) वि 1 ( वायस) 6 / 2] | मझे (मज्झ ) 7 / 1 ता (प्र) = तो । हंसय ( हंस) 8/1 'य' स्वार्थिक प्रत्यय । कत्थ ( प्र ) = कैसे | पडियो भूकृ 1 / 1। ( पड) 1. अकर्मक क्रियाओं में भूकृ कर्तृ वाच्य में भी होता है । 67. हंसो ( हंस) 1/1 । मसाणमज्झे [ ( मसाण ) - ( मज्झ ) 7 / 1] । काओ 52 1 Jain Education International । । For Personal & Private Use Only [ वज्जालग्ग में www.jainelibrary.org

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