Book Title: Vajjalagga me Jivan Mulya
Author(s): Kamalchand Sogani
Publisher: Prakrit Bharti Academy

View full book text
Previous | Next

Page 31
________________ वज्जालग्ग में जीवन-मूल्य 1. दुक्ख कोरइ कन्वं कव्वम्मि कए पउंजरणा दुक्खं । संते पउंजमाणे सोयारा दुल्लहा हुति ॥ 2. गाहा रुग्रह प्रणाहा सीसे काऊरण दो वि हत्यायो । ___ सुकई हि दुक्खरइया सुहेण मुक्खो विरणासेइ ॥ 3. गाहाहि को न होरइ पियाण मित्ताण को न संभरइ । दूमिज्जइ को न वि दूमिएरण सुयणेग रयरणेण ॥ पाइयकवम्मि रसो जो जायइ तह य छयभणिएहि । उययस्स य वासियसोयलस्स तित्ति न वच्चामो ॥ 5. पाइयकम्बस्स नमो पाइयकव्वं च निम्मियं जेरण। . ताहं चिय पणमामो पढिऊण य जे वि जाणंति ॥ 6. सुयणो सुद्ध सहावो मइलिज्जतो वि दुज्जरजरणेण । छारेण दप्पणो विय प्रहिययरं निम्मलो होइ ॥ 2 ] [ वज्जालग्ग में www.jainelibrary.org Jain Education International For Personal & Private Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94