Book Title: Vajjalagga me Jivan Mulya
Author(s): Kamalchand Sogani
Publisher: Prakrit Bharti Academy

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Page 27
________________ है, जैसे अपराध रहित भद्र पुरुष दुष्ट संग के कारण काट दिया जाता है (93)। इसलिए मूल्यों सहित व्यक्ति कुसंगति से बचते हैं। मूल्यों का प्रेमी व्यक्ति क्षमावान होता है। यदि कोई उसके प्रति अपराध कर देता है, तो वह उसे क्षमा कर देता है (14)। वह कभी उस पर क्रोध नहीं करता है (12)। वह क्रोध को अपना दुश्मन मानता है (38) । और क्षमा को तप से श्रेष्ठ समझता है (35)। यदि उसे कभी क्रोध आता भी है, तो वह (बादलों की) बिजली की तरह अस्थिर होता है (13)। ___ जीवन-मूल्यों के उपर्युक्त विवेचन से स्पष्ट है कि वज्जालग्ग में सामाजिक मूल्यों का सुन्दर संकलन हुअा है। वज्जालग्ग की इसी विशेषता से प्रभावित होकर यह चयन पाठकों के समक्ष प्रस्तुत करते हुए हर्ष का अनुभव हो रहा है । गाथाओं का हिन्दी अनुवाद मूलानुगामी बनाने का प्रयास किया गया है । यह दृष्टि रही है कि अनुवाद पढ़ने से ही शब्दों की विभक्तियां एवं उनके अर्थ समझ में आ जायँ । अनुवाद को प्रवाहमय बनाने की भी इच्छा रही है। कहाँ तक सफलता मिली है, इसको तो पाठक ही बता सकेंगे । अनुवाद के अतिरिक्त गाथाओं का व्याकरणिक विश्लेषण भी प्रस्तुत किया गया है। इस विश्लेषण में जिन संकेतों का प्रयोग किया गया है, उनको संकेत सूची में देखकर समझा जा सकता है । यह आशा की जाती है कि व्याकरणिक विश्लेषण से प्राकृत को व्यवस्थित रूप से सीखने में सहायता मिलेगी तथा व्याकरण के विभिन्न नियम सहज में ही सीखे जा सकेंगे। यह सर्व विदित है कि किसी भी भाषा को सीखने के लिए व्याकरण का ज्ञान अत्यावश्यक है। प्रस्तुत गाथाओं एवं उनके xii ] [ वज्जालग्ग में Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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