Book Title: Vairagya Path Sangraha Author(s): Kundkund Digambar Jain Mumukshu Mandal Trust Tikamgadh Publisher: Kundkund Digambar Jain Mumukshu Mandal Trust Tikamgadh View full book textPage 7
________________ 卐 ॐ नमः सिद्धेभ्यः 卐 वैराग्य पाठ संग्रह मंगलाचरण (हरिगीतिका) मोक्ष न आतमज्ञान बिन, क्रिया ज्ञान बिन नाहिं। ज्ञान विवेक बिना नहीं, गुण विवेक के माहिं ।। नहिं विवेक जिनमत बिना, जिनमत जिनबिन नाहिं। मोक्ष मूल निर्मल महा, जिनवर त्रिभुवन माहिं ।। तातें जिनको वन्दना, हमरी बारम्बार। जिनतें आपा पाईये, तीन भुवन में सार॥ चौबीसी तीनों नर्मू, नमो तीस चौबीस। सीमन्धर आदिक प्रभो, नमन करो जिन बीस ॥ तीनकाल के जिनवरा, तीन काल के सिद्ध । तीन काल के मुनिवरा, वन्दूँ लोक प्रसिद्ध ।। जिनवाणी रस अमृता, जा सम सुधा न और। जाकर भव भ्रमण मिटै, पावे निश्चल ठौर ।। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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