Book Title: Vairagya Path Sangraha Author(s): Kundkund Digambar Jain Mumukshu Mandal Trust Tikamgadh Publisher: Kundkund Digambar Jain Mumukshu Mandal Trust Tikamgadh View full book textPage 5
________________ वैराग्य पाठ संग्रह विषय १. मंगलाचरण. २. परमानन्द स्तोत्र ३. ब्रह्मचर्य विंशतिका ४. समता षोडसी ५. अपना स्वरूप ६. चेतो - चेतो आराधना में ७. मंगल शृङ्गार ८. वीर शासन दशक ९. परमार्थ शरण अनुक्रमणिका १३. जिनमार्ग १४. अपूर्व अवसर ( श्रीमद्जी) १५. समाधिमरण पाठ ( सहज समाधि... ) १६. बारह भावना (निजस्वभाव की ... ) १७. वैराग्य भावना १८. वैराग्य पच्चीसिका १९. आत्म सम्बोधन ( वैराग्यभावना ) २०. परमार्थ विंशतिका २१. अमूल्य तत्त्व विचार ( श्रीमद्जी ) २२. सांत्वनाष्टक २३. ब्रह्मचर्य द्वादशी २४. ज्ञानाष्टक २५. पथिक-संदेश २६. ज्ञान पच्चीसी २७. निर्ग्रन्थ भाव स्तवन २८. निर्ग्रन्थ भावना Jain Education International ६ ८ १० ११ १२ १४ १५ १६ "" १०. सामायिक पाठ (आचार्य अमितगतिजी ) हिन्दी अनुवाद बाबू युगलजी १७ ११. सामायिक पाठ ( पंच परमगुरु...) ब्र. श्री रवीन्द्रजी २० १२. अपनी वैभव गाथा संकलित आचार्यश्री अकलंकदेव ब्र. श्री रवीन्द्रजी "" 9" रचयिता "" 27 27 "" "" "" "" २४ २६ २८ ३० ३२ ३५ अज्ञात ३७ ब्र. श्री रवीन्द्रजी ४१ हिन्दी अनुवाद बाबू युगलजी ४५ ब्र. श्री रवीन्द्रजी ४६ ४७ ४९ ५० ५४ ५६ ५८ पं. श्री भूधरदासजी भैया भगवतीदासजी "" (हिन्दी अनुवाद) "" 3 पृष्ठांक कविवर श्री छोटेलालजी कविवर श्री बनारसीदासजी ब्र. श्री रवीन्द्रजी For Private & Personal Use Only x २२ इ www.jainelibrary.orgPage Navigation
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