Book Title: Vairagya Path Sangraha
Author(s): Kundkund Digambar Jain Mumukshu Mandal Trust Tikamgadh
Publisher: Kundkund Digambar Jain Mumukshu Mandal Trust Tikamgadh

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Page 6
________________ वैराग्य पाठ संग्रह कविश्री बुधजनजी ब्र. श्री रवीन्द्रजी २९. बारह भावना (जेती वस्तु जगत में...) ३०. षोडस कारण विंशतिका ३१. बाईस परिषह ३२. दशधर्म द्वादशी ३३. नारी स्वरूप ३४. वैराग्य द्वादशी ३५. कर्त्तव्याष्टक ३६. प्रभावना ३७. बारह भावना ३८. स्वाधीन मार्ग ३९. अपूर्व कार्य करूँगा ४०. शुद्धात्म आराधना ४१. बृहत् साधु स्तवन ४२. शुद्धात्म-चिन्तवन (परमार्थ स्तवन) ४३. नित्य-भावना ४४. सम्बोधनाष्टक ४५. जिनधर्म ४६. अक्षय-तृतीया ४७. ब्रह्मचर्य ध्रुव ब्रह्ममयी ४८. निर्मुक्ति-भावना ४९. आराधना का फल ५०. आत्म-भावना ५१. दशलक्षण धर्म का मर्म ५२. श्री नेमिकुमार निष्क्रमण ५३. श्री यशोधर गाथा ५४. श्री अकलंक-निकलंक गाथा ५५. सेठ सुदर्शन गाथा ५६. श्री देशभूषण-कुलभूषण गाथा ५७. सती अनन्तमती गाथा ५८. आचार्य श्री जिनसेन गाथा १०७ १०९ कवि चन्द्रसेनजी ११६ ११९ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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