Book Title: Updeshamrut
Author(s): Shrimad Rajchandra Ashram Agas
Publisher: Shrimad Rajchandra Ashram

View full book text
Previous | Next

Page 12
________________ [ ९ ] 'नित्यनियमादि पाठ' हिन्दी अनुवादमें छप चुका है। अतः ऐसे काव्योंका अर्थ प्रस्तुत ग्रंथमें पृष्ठवृद्धि भयसे नहीं दिया गया है। उन काव्योंके तथा अन्य काव्योंके अर्थ खोजनेमें सुगमता हो उसके लिये ग्रंथके अन्तमें अवतरण - अर्थ-सूची नामका परिशिष्ट दिया गया है जिसमें किस काव्यका अर्थ कहाँ पर है उसका पृष्ठनिर्देश किया हुआ है । परिशिष्ट संक्षिप्त विषय-सूची, दृष्टांतसूची तथा पत्रोंके बारेमें विशेष जानकारी (कौनसा पत्र किस पर है आदि) भी दी गई है ताकि अभ्यासियोंको अभ्यासमें सहायता मिल सके । पाठकगण इस आत्मोद्धारक ग्रंथका सावधानीपूर्वक, विनय और विवेकसहित सदुपयोग करें । श्रीमद् राजचंद्र आश्रम, अगास ता. ११-१०-०३ Jain Education International For Private & Personal Use Only -प्रकाशक www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 ... 594