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'नित्यनियमादि पाठ' हिन्दी अनुवादमें छप चुका है। अतः ऐसे काव्योंका अर्थ प्रस्तुत ग्रंथमें पृष्ठवृद्धि भयसे नहीं दिया गया है। उन काव्योंके तथा अन्य काव्योंके अर्थ खोजनेमें सुगमता हो उसके लिये ग्रंथके अन्तमें अवतरण - अर्थ-सूची नामका परिशिष्ट दिया गया है जिसमें किस काव्यका अर्थ कहाँ पर है उसका पृष्ठनिर्देश किया हुआ है ।
परिशिष्ट संक्षिप्त विषय-सूची, दृष्टांतसूची तथा पत्रोंके बारेमें विशेष जानकारी (कौनसा पत्र किस पर है आदि) भी दी गई है ताकि अभ्यासियोंको अभ्यासमें सहायता मिल सके ।
पाठकगण इस आत्मोद्धारक ग्रंथका सावधानीपूर्वक, विनय और विवेकसहित सदुपयोग करें ।
श्रीमद् राजचंद्र आश्रम, अगास
ता. ११-१०-०३
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-प्रकाशक
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