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श्रीमराजचन्द्र जन्मशताब्दी सौरभ कृति का हिन्दी संस्करण
श्रीमद् राजचन्द्रजी की महाविदेही दशा उपास्यपदे उपादेयता
एवं
श्रीमद् राजचन्द्र आश्रम, हम्पी का परिचय
सफल थयुं भव म्हारूं हो, कृपालुदेव ! पामी शरण तमारूं हो, कृपालुदेव॥
योगीन्द्र युगप्रधान श्री सहजानंदघनजी
अनुवादक-सम्पादक प्रा. प्रतापकुमार ज.टोलिया, बेंगलोर