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प्रति श्रद्धावान हुए हैं और होते जा रहे हैं। रहने की सुविधा बढ़ने पर वह संख्या उत्तरोत्तर बढ़ने की संभावना है।
साधकीय नियमावली 1. मतपंथ के आग्रहों का परित्याग और पन्द्रह भेद से सिद्ध के सिद्धांतानुसार धर्म समन्वय।
2. सप्तव्यसन, रात्रि भोजन, कंदमूल आदि अभक्ष्य भोजन और अब्रह्मचर्यादि के त्याग का यथा-शक्ति प्रतिज्ञापूर्वक आत्मभान और वीतरागता का अभ्यास। ___3. सुबह, दोपहर, शाम व्यक्ति किंवा सामुदायिक रूप से निर्धारित भक्तिक्रम का और गुरुदेव के प्रवचनों का श्रवण आराधन। तदुपरांत जिनको सामायिक-प्रतिक्रमण आदि आवश्यक क्रिया करनी हो उनको अपनी-अपनी रीति से करने की स्वतंत्रता फिर भले वह दिगम्बर आम्नाय वाला हो अथवा श्वेताम्बर, किंवा मूर्तिपूजक हो अथवा मुहपत्ती बंधक। ___4. प्रतिदिन प्रात: गुफा मन्दिर, गुरुमन्दिर, दादावाड़ी, मातृमन्दिर, कायोत्सर्ग राजप्रभु की प्रक्षाल पूजा एवं आरती। सायंकाल को भी आरती, भक्ति। प्रति रविवार प्रात: तरुतल ध्यान/प्रतिमा ध्यानः गुरुदेव परम कृपालु देव प्रणीत। फिर मध्यरात्रि पर्यंत क्रमबद्ध भक्ति
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