Book Title: Upasya Pade Upadeyta
Author(s): Pratap J Tolia
Publisher: Jina Bharati

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Page 62
________________ जिनभारती का श्रीमद् राजचन्द्र साहित्य : पुस्तकें : * सप्तभाषी आत्मसिद्धि * पंचभाषी पुष्पमाला * प्रज्ञा संचयन * रेडियो रूपक। सी.डी. रिकॉर्ड : 1. श्री आत्मसिद्धि शास्त्र-अपूर्व अवसर, 2. श्री भक्ति कर्तव्य, 3. परमगुरु पद, 4. राजपद-राजवाणी (वचनामृत), 5. धुन ध्यान-सहजात्म स्वरूप परमगुरु, 6. भक्ति-झरणां + स्वाध्याय (पू. माताजी), 7. परमगुरु प्रवचन-1 पाँच समवायः श्रीमद्जी सहज समाधि (श्री सहजानंदघनजी), 8. श्रीमद् राजचन्द्रजी की ज्ञानदशा, जीवनी, गांधीजी कथन (श्री सहजानंदघनजी), 9. प्रज्ञावबोध-1 (31,32,33), 10. प्रज्ञावबोध-2 (34,35,36,37), 11. गुरुगाथा : ध्यान संगीत, 12. महावीर दर्शन, 13. महावीर कथा (दोनों श्रीमद् तत्वदर्शन आधारित)। यो.यु.श्री सहजानंदघनजी प्रस्तुत एवं संबंधित जिनभारती साहित्य : प्रवचन सी.डी. रिकॉर्ड : * परम गुरु प्रवचन : 1 से 5 * पाँच समवाय : श्रीमद्जी सहज समाधि (गुज.) * आत्मभान-वीतरागता (हिन्दी) * दशलक्षण धर्म (सेट 1 से 10) * नवकार महिमा (हि) * श्री कल्पसूत्र (हि)(सेट 1 से 13) * समाधि मरण की कला (हि) * श्रीमद्राजचन्द्र शताब्दी : श्रीमद्जी की ज्ञानदशा, जीवनी, गांधीजी कथन (हि) * आत्म साक्षात्कार का अनुभवक्रम-1 (हि) * आत्मसाक्षात्कार का अनुभवक्रम-2 (हि) * आगे 3,4,5 एवं अन्य अनेक विषय के सी.डी. प्रायोजकों की प्रतीक्षा में। पुस्तकें : दक्षिणापथ की साधना यात्रा (गुज + हिन्दी) : अब ऑडियो बुक स्वरूप में * आत्मज्ञा माताजी * चल बसा एक गुरुबंधु * कर्णाटक में भद्रबाहु से भद्रमुनि तक : सहजानंदघन चरित्र कथा * My Mystic Master Y.Y. Shri Sahajanandaghanji * Role of Jainism in Vijaynagar Empire & Jain Contribution to Kannada Literature & Culture * pafcero ats साहित्य और संस्कृति को जैन प्रदान * उपास्यपदे उपादेयता। (सर्व सौजन्य : श्रीमद् राजचन्द्र आश्रम, हम्पी, कर्नाटक) जिनभारती, प्रभात कॉम्पलेक्स, के.जी. रोड, बैंगलोर-560 009. दूरभाष : 080-26667882, 65953440, 09611231580

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