Book Title: Upasya Pade Upadeyta
Author(s): Pratap J Tolia
Publisher: Jina Bharati

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Page 24
________________ सन् 1336 में विजयनगर का निर्माण कार्य प्रारंभ हुआ। उसके पूर्व यहाँ हेमकूट से सटकर उत्तरीय ढलान में हम्पी ग्राम और दक्षिण में कृष्णापुर ग्राम थे । नदी के पार भोट जैन तीर्थ था और इस हेमकूट तथा चक्रकूट नामक दो जैन तीर्थ भी थे। ये तीनों तीर्थ दिगम्बर सम्प्रदाय के अधिकार में थे । विजयनगर की वैभव सम्पन्नता की गुणगाथा सुनाने वाले सैंकड़ों जिनालय, सैंकड़ों शिवालय, अनेक विष्णु गणपति मन्दिर, हजारों गुफाएँ, सैंकड़ों महालय, कोट किलों के ध्वंसावशेष और यहाँ की पहाड़ी पर्वतशैलमालाएँ समतल भूमि पर विस्तार से बिखरी हुई प्रत्यक्ष देखी जा सकती है। नगर के उत्तरी तट पर बारह मासा प्रवाहवाली तुंगभद्रा नदी अस्खलित प्रवाह से प्रवहमान रहती है। जैन तीर्थ हेमकूट और जैन तीर्थ चक्रकूट पर कतिपय जिनालयों के खंडहरों की बिखरी हुई विस्तृत सामग्री आँखों से देखी जा सकती • है। यहाँ के तीनों ही जैन तीर्थों का उल्लेख जिसमें है ऐसे श्वेताम्बर - दिगम्बर उभय सम्प्रदाय को मान्य अति प्राचीन तीर्थवंदना स्तोत्र 'सद्भक्त्या' में कहा है कि 'कर्णाटे हेमकूटे विकट-तरकटे चक्रकूटे च भोटे । श्रीमत्तीर्थंकराणां प्रतिदिवसमहं तानि चैत्यानि वन्दे ॥ ' चक्रकूट के नीचे उत्तराभिमुख बहते जल-प्रवाह को अजैन लोग चक्रतीर्थ कहते हैं और उसमें स्नान करके अपने भवोभव के पाप ताप शमित करने का संतोष प्राप्त करते हैं। 14

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