Book Title: Trishashtishalakapurushcharitammahakavyam Parva 1
Author(s): Hemchandracharya, Charanvijay
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad

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Page 17
________________ कलिकालसर्वज्ञश्रीहेमचन्द्राचार्यप्रणीतं [प्रथमं पर्व श्लोकाः श्लोकाः ५६८-६२१ ६३०-६३२ ७२०-७५६ ६३३-६३० १३८-६४४ ७३७-७३० विषयः सिंहनिषद्याप्रासादवर्णनम् नवनवतेतृणां तत्र स्तूपनिर्मापणम् आशातनानिवारणार्थ चक्रिणा तस्य लोहयत्रादिभी रक्षाविधानम् भरतेन तन्त्रस्थप्रतिमानामर्चनादिकरणम् शोक-भक्त्याक्रान्तेन भरतेन कृता ऋषभप्रभोः, अन्येषां त्रयोविंशतितीर्थकृतां च स्तुतिः भरतस्याऽयोध्यायामागमनम् शोकाकुलस्य भरतस्य कुलामात्यादिप्रबोधन पुना राज्यकर्मणि प्रवृत्तिः भरतस्य सांसारिकसुखोपभोगः अन्यदा भरतस्य रनादर्शगृहे गमनम् तत्राऽङ्गुलितो मुद्रिकायाः पतनम् विषयः अकुलीयकविरहिता विरूपामङ्गुली निरीक्ष्य सर्वाङ्गीणाभरणोत्तारणेन निःश्रीकं स्वं विलोक्य भरतेन कृताऽऽत्मनि विचारणा भावनावृद्धौ क्षपकश्रेण्यारूढस्य भरतस्य केवलज्ञानोत्पत्तिः देवैस्तस्मै मुनिवेषार्पणम् , दशसहस्त्रनृपाणां प्रव्रज्यादानं च आदित्ययशसो राज्याभिषेक: देशनया भव्यान् प्रतिबोधयतो भरतस्य पूर्वलक्षयावद् विहारः अष्टापदाद्री भरतस्य निर्वाणम् भरतस्य सर्वायुःप्रमाणम् प्रथमपर्वण उपसंहारः ६४५-६७७ ६७८-६८३ ७३९-१४५ ७४६ ६८४-६८९ ६९०-७१४ ७१५-७१७ ७१९ ७४७-७४८ ७४९-७५० ७५१-७५५ ७५६ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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