Book Title: Tirthankar Charitra Part 3
Author(s): Ratanlal Doshi
Publisher: Akhil Bharatiya Sadhumargi Jain Sanskruti Rakshak Sangh

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Page 7
________________ द्वितीयावृत्ति के विषय में निवेदन तीर्थंकर चरित्र भाग ३ की यह द्वितीयावृत्ति प्रकाशित की जा रही है। इसकी प्रथम आवृत्ति का प्रकाशन विक्रम संवत् २०३४ में हुआ । कथानुयोग का विषय होने के कारण ज्यों-ज्यों तीर्थंकर चरित्र का समाज में प्रचार हुआ, त्यों-त्यों इसकी लोकप्रियता बढ़ती गयी, फलस्वरूप कुछ ही वर्षों में यह आवृत्ति अप्राप्य हो गयी। धर्मप्रेमी पाठकों की ओर से इसके पुनर्प्रकाशन की मांग बनी रही, कई पाठकों की ओर से तीर्थंकर चरित्र के तीनों भाग (पूरा सेट) एक साथ उपलब्ध कराने की मांग भी की गयी और समय पर प्रकाशन नहीं हो पाने के कारण कई उपालंभ भरे पत्र भी प्राप्त हुए, परंतु उस समय भगवती सूत्र आदि के अन्य प्रकाशनों के कारण यथा शीघ्र प्रकाशन संभव नहीं हो सका। - अब एक के बाद एक क्रमशः तीनों भागों का मुद्रण पूरा हो चुका है । तीर्थकर चरित्र के इन तीनों भागों में २४ तीर्थकर १२ चक्रवर्ती ६ बलदेव ९ वासुदेव और ६ प्रतिवासुदेव कुल ६३ श्लाघनीय पुरुषों का चरित्र सरल भाषा में दिया गया है । पाठकों को तीनों भागों का पूरा सेट उपलब्ध हो सके, अतः संघ के निर्णयानुसार अब पृथक-पृथक् भागों की बिक्री नहीं की जायेगी। __ कागज स्याही आदि की मूल्य वृद्धि एवं पारिश्रमिक आदि की वृद्धि से पुस्तक का लागत खर्च बढ़ा ही है। फिर भी इस आवृत्ति का मूल्य लागत खर्च से भी कम रखा जा धर्मप्रेमी महानुभाव तीर्थंकर चरित्र भाग ३ की इस द्वितीयावृत्ति से लाभान्वित होंगे । इसी शुभेच्छा के साथ-- सैलाना (म. प्र.) ७ मार्च १९८६ विनीत-- पारसमल चंडालिया Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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