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कों में लिखा है के मरहम का वल बहुत दिना लाई वाकीर हता है जिसमें जैतून का तेल मिला हो उस्का बलभी नही जाता और जिसमें अत्यंत गोंद हो उसमें वीस वर्ष परियंत परा कम रहता है और जिसमें चर वीमिली हो उस्कावल एक वर्ष ताई रहता है । रोशनाई ॥ अर्थात सुर्मा नेत्रों में जोन का वहानें वाला सबसे प्रथम तो सकलीया के बा दशाह सरस नंदूत के ताई हकीम फीसा गोरसनें वना या था ॥ वरूद ॥ न स्को प्रथम तो समये के वादपूण ह की | नेत्रों के जल दूर करने के ताई ठंडी वस्तु और हर्कम स की यानूसनें तैयार की या उस्से पीछे और 2 मुना सिव वस्तुभी मिलने लगी |
॥ फसलतीसरी
खास इसी पुस्तक की तोल के प्रकर्ण में ॥ गुरग॥ केई औषधी मिली हुई के नुसखा में उस्की पक्कृती अस्था पत करना योग्य है अर्थात प्रत्येक वस्तु जो पथकर हैं मिल कर किसी एक दरजा पर ठहराई जाय और जिन रोगों के कारण वह मिलाईजाय सव की पक्रा त मिला ली जावै परंतु यह सब बातें उस समय हाथ । लगती हैं के जिस समय असल वस्तु गिनती और तो। ल कम जादा न हो और जो कोई वस्तु नापेद हो तो उस के वदले दूसरी वस्तु मिला ली जाय हरद वाकी अस ली तोल रहेना उचित नही असली हालत नही रहस कती निदान इसी कारण से नुसखों में अजान लवजों मेनोलोके नामहें जेसे प्रो की या ॥ अस्तार। पुला वंदका । तरमसा जोजा। दांक। शुकरजा। तस वज। भिस्काल
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