Book Title: Tattvartha Sutra Part 02
Author(s): Kanhaiyalal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

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Page 848
________________ ५५० षष्ठभक्त निरन्तरदिन द्वयोपवासरूपम्, अष्टमभक्तं निरन्तर दिन त्रयोपवासरूपम् दशमभक्त निरन्तरदिन चतुष्टयोपवासरूपम्, द्वादशभक्तं निरन्तरदिन पञ्चको. पवासरूपम्, चतुर्दशभक्त निरन्तरदिनपटकोपवासरूपम्, पोडशभक्तं निरन्तर दिन सप्तकोपचासरूपम् , अर्धमासिकमक्तम् निरन्तर पञ्चदशदिवसोपवासरूपम्, मासिकमक्तम् निरन्तरं त्रिंशदिवसोपवासरूपम्, द्वैमासिकभक्तं निरन्तर पष्टिदिवसोपवासरूपम्, त्रैमासिकमक्तं निरन्तर नवतिदिवसोपत्रासरूपम्, चातुर्मासिकभक्तं निरन्तर विंशत्यधिक शतदिवसोपवासरूपम्, पाश्चमासिकमक्तं निरन्तर पञ्चाशदधिक शतदिवसोपवासरूपम्, पाण्मासिकमक्तं निरन्तराऽशीत्यधिकशतदिवसोपवासरूपमनशनतपोऽवगन्तव्यम् । एवं संवत्सरपर्यन्तं स्वय मांगमादित उह. नीयम् । उक्तश्चौपपातिकमूत्रे-३-मूत्रे-से किं तं इत्तरिए-? इत्तरिए अणेगवास षष्ठ भक्त, लगातार तीन दिन का उपवास अष्ठम भक्त, लगातार चार दिन का उपवास दशमभक्त, लगातार पांच दिन का उपवास द्वादशभक्त, लगातार छह दिन का उपवास चतुर्दशभक्त, लगातार सात दिन का उपवास षोडशभक्त, लगातार पन्द्रह दिनों का उपवास 'अर्धमासभक्त, और लगातार तीस दिनों का उपवास मासिकभक्त कहलाता है। निरन्तर साठ दिनों तक को उपवास द्वैमासिकभक्त, लगातार नव्वे दिनों का उपवास त्रैमासिकभक्त कहलाता है। लगातार एक सौ वीस दिनों का उपवास चातुर्मासिकभक्त कहलाता है, एक सौ पचास दिनों का उपवास पांचमासिकभक्त कहा जाता है और एकसौ अस्सी दिनों का उपवास पाण्मासिक भक्त कहलाता है। इसी प्रकार वसर पर्यन्त का तप आगम आदि से स्वयं समझ लेना चाहिए। ષષ્ઠભકત, લગાતાર ત્રણ દિવસના ઉપવાસ અષ્ટમભકત, ચાર દિવસના ઉપવાસ દશમભકત, લગાતાર પાંચ દિવસના ઉપવાસ દ્વાદશભક્ત લગાતાર છ દિવસના ઉપવાસ ચતુર્દશભકત લગાતાર સાત દિવસના ઉપવાસ ષોડશભક્ત લગાતાર પંદર દિવસના ઉપવાસ અર્ધમાસભકત અને લગાતાર ત્રીસ દિવસના ઉપવાસ માસિકભકત કહેવાય છે. નિરંતર સાઈઠ દિવસે સુધિના ઉપવાસ હૈમાસિકભકત, લગાતાર ને દિવસે સુધીના ઉપવાસ ત્રિમાસિકભકત. કહેવાય છે લગાતાર, એકવીસ દિવસેના ઉપવાસ ચાતુર્માસિભકત કહેવાય છે, એક પચાસ દિવસના ઉપવાસ પાંચમાસિકભકત કહેવાય છે અને એક એંશી દિવસના ઉપવાસ ષામાસિકભકત કહેવાય છે, આવિ જ રીતે સંવત્સર પર્યતનું તપ આગમ આદિથી સ્વયં સમજી લેવું જોઈએ.

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