Book Title: Tattvartha Sutra Part 01
Author(s): Nirmala Jain
Publisher: Adinath Jain Trust

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Page 11
________________ * वन्दे वीरम् * 16 सितम्बर 2013 आदरणीया, जिनशासन अनुरागिनी, अथक पुरूषार्थी, श्रुतरसिका, विदुषी श्री निर्मलाजी सादर धर्मलाभ जैन धर्म में सर्वमान्य ग्रन्थ श्री तत्त्वार्थ सूत्र' की विवेचना के पांच अध्याय प्राप्त हुए। मोक्ष मार्ग प्रतिपादक, जीवाजीवस्वरूप - प्रकाशक, तत्त्वज्ञानप्रदायक यह ग्रन्थ सूत्र शैली में निबद्ध है। श्री उमास्वाति जी महाराज द्वारा रचित यह ग्रन्थ अत्यन्त उपयोगी ग्रन्थ है। आपने परिश्रमपूर्वक अन्य टीकाओं से विवेचन - बिन्दु लेकर इस ग्रन्थ को सुज्ञजनों के लिए विशेष ज्ञानार्जन का आलम्बन बनाया है। प्रसन्नता है, आपके इस ग्रन्थ चयन करी, अनुमोदना है - आपकी श्रुतसेवा की। शेष यथावत् __गुरू विचक्षण चरणरज पूज्या गुरूवर्या श्री मणिप्रभाश्रीजी म.सा. की निश्रावर्तिनी साध्वी हेमप्रभाश्री YOOOS LEARNAREER OBERSo: Jelicaten Antero 40 O PO Persondarrivale Use PAN 50.cRAK www.jainelibrary.org

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