Book Title: Tattvartha Sutra Part 01 Author(s): Nirmala Jain Publisher: Adinath Jain Trust View full book textPage 9
________________ * आशीर्वचनम् * आचार्य विजय अजितशेखरसूरि की ओर से डॉ. निर्मला जैन को धर्मलाभ !!! पूर्वधरमनीषी श्री उमास्वाति महाराज रचित श्री तत्त्वार्थ सूत्र के प्रथम पांच अध्याय का आपने जो संक्षिप्त - सरल हिन्दी भावार्थ तैयार किया है, वह तत्त्वजिज्ञासू वर्ग को जैनतत्त्व की जानकारी में विशेष उपयोगी होगा, ऐसी श्रद्धा है। आप का प्रयत्न सराहनीय है। आपकी तत्त्वरूचि की अनुमोदना। आगे का कार्य भी आप यथाशीघ्र पूर्ण करोगे ऐसी शुभेच्छा... आपने संशोधन का अवसर दिया इसलिए धन्यवाद.... - आ. अजितशेखरसूरि का धर्मलाभ (* प्रस्तुत प्रकाशन के अर्थ सहयोगी * साधर्मिक भाई ॥ जैनम् जयति शासनम् ।।Page Navigation
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