Book Title: Tao Upnishad Part 04
Author(s): Osho Rajnish
Publisher: Rebel Publishing House Puna

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Page 10
________________ 65. स्वर्ग और पृथ्वी का आलिंगन 66. स्वयं का ज्ञान ही ज्ञान है 67. सारा जगत ताओ का प्रवाह है 68. ताओ का स्वाद सादा है 69. शक्ति पर भद्रता की विजय होती है 70. विश्व-शांति का सूत्रः सहजता व सरलता 71. सहजता और सभ्यता में तालमेल 72. श्रेष्ठ चरित्र और घटिया चरित्र 73. पैगंबर ताओ के खिले फूल हैं 74. एकै साधे सब सधे 75. अस्तित्व में सब परिपूरक है 76. अस्तित्व अनस्तित्व से घिरा है 77. सच्चे संत को पहचानना कठिन है 78. मैं अंधेपन का इलाज करता हूं 79. ताओ सब से परे है। 80. कठिनतम पर कोमलतम सदा जीतता है 81. सर्वाधिक मूल्यवान-स्वयं की निजता 82. वह पूर्ण है और विकासमान भी 83. प्रार्थना मांग नहीं, धन्यवाद है 84. मार्ग स्वयं के भीतर से है 85. जीवन परमात्म-ऊर्जा का खेल है 145 167 185 205 225 247 267 287 307 325 345 365 385 405 vili

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