Book Title: Swapna Sara Samucchay
Author(s): Durgaprasad Jain
Publisher: Sutragam Prakashak Samiti

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Page 20
________________ इसके अस्तित्व तथा प्रभावको मिटाया नहीं जा सकता, फिर भी इनके बारे में इनके गुप्त कारण जाननेका आगे यत्न होगा। हम स्वप्न क्यों देखते है ? स्वप्न तो सभी देखते हैं, पर अधिकतर लोग यह जाननेके लिए उत्सुक रहते हैं कि स्वप्न क्यों आते हैं ? स्वप्न हमारा एक सामान्य अनुभव है । यह हमें प्रत्येक दिनमें ही होता रहता है। किन्तु बहुत-से स्वप्न हमें याद नहीं रहते। हम जागते ही उन्हें भूल जाते हैं। इस लिए बहुत से लोगों को प्रतिदिन स्वप्न होने का ज्ञान नहीं रहता। स्वप्न पर विचार करना अपने आप को जानने के लिए आवश्यक है। इसके द्वारा अवचेतन मन की क्रियाओं का पता चलता है। ___ मनुष्यके मन में स्वभाव-जन्य अनेक प्रकार की इच्छाएँ होती हैं। इन में से अधिकतर इच्छाओं की पूर्ति हमारी जागरित अवस्था में हो जाती है। जिन इच्छाओं की पूर्ति हमारी जागरित अवस्था में हो जाती हैं, वे शान्त हो जाती हैं, और किसी प्रकार की उत्तेजना मनमें पैदा नहीं करती। लेकिन जिन इच्छाओं की तृप्ति नहीं होती, वे शान्त नहीं होतीं, बल्कि अनेक प्रकार की मानसिक उत्तेजनाओं का कारण बनती हैं । उत्तेजनाएँ मनुष्य के अचेतन मन (Uncorsciousmind) में स्थिर रहती हैं । और उसकी अवचेतन अवस्था (Sub-conscious state)में प्रकाशित होने की चेष्टा करती हैं, जिसके फलस्वरूप हम स्वप्न देखते हैं। किसी भी प्रकारके स्थायी भाव हमारे स्वप्न के कारण बन जाते हैं। जिन स्थायी भावों का प्रकाशन जागरित अवस्था में होता रहता है, उनकी शक्ति क्षीण होती रहती है,

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