Book Title: Swapna Sara Samucchay
Author(s): Durgaprasad Jain
Publisher: Sutragam Prakashak Samiti

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Page 53
________________ तेल और काले रंगसे शरीर लिपा हो, केश बिखरे हुये देखे, गधे और ऊँट पर चढकर दक्षिण दिशामें अपनेको स्वप्नमें जाता हुआ देखे वह मरण सूचक जानना चाहिये । लाल कपडे, पहने हुए, किसी नंगे व्यक्ति पर चढकर जानेका स्वप्न फल अवश्य मरणफल दायक है ।।१२८।। नंगा हो और घी को चुपडे हये हो तो मरण शरण जानना चाहिये ॥१६५।। लाल पुष्प धारण किये, लाल कपडे, पहने हुये कुछ स्त्रियां हँसती हुई दिखाई पडें तो रक्तपित्तके दोषसे मरण निष्पन्न होता है ॥१३७॥ चाण्डालसे स्नेह करनेका फल प्रमेह से मरण उत्पन्न करनेका प्रसंग आता है। यदि पानी में डूबनेका स्वप्न आवे तो राक्षस दोषसे मरता है। उन्मादसे भटक कर स्वप्नमें मादकपेयका पान करे तो उन्माद दोषसे जीवन-लीला समाप्त करता है ॥१३९।। चांद-सूरज के पतनसे आँख दुःखकर मरे। चान्द सूरज का ग्रहण देखे तो मरण सूचक जानना चाहिये ॥१४० स्वप्न में यदि कोई नंगा या मस्तक मूडा हो, चाण्डालों के घरों की ओर या दक्षिण दिशामें जाता हो ॥१४३।। गढे में पड़ गया हो, स्मशानमें सोया पडा हो, ठोकर खाई हो, खार या धूल में लोटता हो, पानी या कीचडमें फंसगया हो, अपहरण हुअा हो, शोक का वेग बढा हो, लाल फूलोंकी माला पहने लाल विलेपन किये हुए हो, सजे हुये विमानमें गाना-बजाना-नाच और कूदफांद करता हो ॥१४७॥ पकवान भक्षण, दस्त, लोहका धंधा इन सब स्वप्नोंका देखनेवाला रोगी मरण शरण होता है। ॥१४६।। इन परम दारुण स्वप्नोंको देखनेवाला रोगी का बचना असम्भव है ।।१६०॥ रातके पहले पहरमें देखे गये स्वगनका फल एक वर्ष में मिलता है, दूसरे पहरका स्वप्नका फल तीन मासमें फल देता

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