Book Title: Swapna Sara Samucchay
Author(s): Durgaprasad Jain
Publisher: Sutragam Prakashak Samiti

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Page 60
________________ ११. हाथीपर चढा हुमा बन्दर । १२. समुद्रका मर्यादा लोप करना। १३. छोटे,छोटे बछडोंका उसमें जुतकर रथ खींचना। १४. धूल से सने कपडोंवाला राजपुत्र ऊँटपर चढा हुना। १५. धूलसे सने हए रत्नोंका ढेर। १६. काले रंग के हाथियोंका परस्पर लडना। राजा चन्द्रगुप्त इन सपनोंको देखकर अचम्भे में पड़ गयो भोर सोचने लगा कि इन का शुभाशुभ अर्थ किसी यागीराजसे पूछू तो ठीक समाधान मिले। अचानक चौदह पूर्वधर महाज्ञानी श्रुतपारीण प्राचार्य श्रीभद्रबाहु नगरके बाहर पधार गए। बारह हजार मुनि उनके साथ थे। माली द्वारा सूचना पाकर राजा प्रसन्न होकर उनकी वन्दना करने आया, और प्रजावर्गके साथ उनका धर्मोपदेश सुना। .. अन्तमें विनय की भगवन् ! मैंने प्राज रात के अन्तिम पहर में सोलह स्वप्न देखे हैं, तब से मैं बेचैनहूं। आप जैसे मुनियोंसे इसका फल जाननेकी जिज्ञासा है। आप कृपा करें और आप इनका फल बताएँ। ___ मुनि बोले-राजन् ये खराब स्वान पाए हैं। इनका फल अच्छा नहीं होगा। फिर भी इनका फल सुननेवाले के लिये वैराग्य अनासक्तिभाव जागृत होनेका कारण हो सकता है । इसलिये इनका फल ध्यान देकर सुनिए। (१) सूर्यका प्रस्त होना-अबसे आगे केवलज्ञान और द्वादशांग चौदहपूर्व का ज्ञान मुनियोंको न होगा।

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