Book Title: Swapna Sara Samucchay
Author(s): Durgaprasad Jain
Publisher: Sutragam Prakashak Samiti

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Page 62
________________ ५७ (१२) समुन्द्रका मर्यादा लाँघना - प्रजाका सारा धन राजा लोग छीन लेंगे । तथा राजोचित न्याय धर्म लांघ जायँगे । (१३) बछड़ों द्वारा जुतकर रथका खँचा जाना - बहुधा कुछ लोग जवानी में तो संयम लेंगे, किन्तु शक्ति घट जाने पर बुढ़ापे में धारण न कर सकेंगे । (१४) ऊंट पर मैले कपड़े पहने, चढ़ा राजपुत्र - राजा लोग निर्मल (न्याय) धर्म छोड़कर हिंसाका मार्ग पकड़ेंगे । (१५) धूल में सने हुए रत्नों का ढेर - निर्ग्रन्थ मुनि परस्पर एक दूसरे की निन्दा करेंगे । (१६) काले हाथियों का श्रापसमें लड़ना - मनकी इच्छा के अनुसार मेंह न बरसेंगे । X X X राजन् ! इसप्रकार इनका फल होगा । राजा स्वप्नों का फल सुनकर बहुत डरा । उसका मन संसार से उखड़ गया, प्रौर प्रपने पुत्रको राज्य देकर मुनिपद ले लिया । इस्लाम में - भी रव्वाब और उसकी ताबीर (फल) माना है । यूसूफ बड़ा सुन्दर था, और साथ ही वह नबी भी हुआ है, उसे एक बार यह स्वप्न आया कि चाँद और सूर्य तथा दश मौर तारे उसके सामने झुक गए हैं । उनके पिता याकूब ने यह फल बताया कि दश भाई और मां-बाप उसके पैरोंमें झुकेंगे । अन्त में वह समय पाकर मिश्रका बादशाह बना और किसी प्रसंग में १२ विरोधी व्यक्ति उसके पैरोंकी ओर झुके थे और स्वप्न सच्चा हुआ था । मिस्र के रय्यान - बादशाहने स्वप्न देखा कि मकई के - सिट्टे को X X

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