Book Title: Swapna Sara Samucchay
Author(s): Durgaprasad Jain
Publisher: Sutragam Prakashak Samiti

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Page 63
________________ कुल पंछी नोच-नीच कर खा रहे हैं। इसका फल लोगोंने यह बताया कि सात वर्ष तक अकाल पड़ता रहेगा । और ऐसा ही हुमा। .. अभिप्राय यह है कि उनके यहां भी स्वप्नका सम्बन्ध अच्छे और बुरे फल से जोड़ा गया है। उनका यह मन्तव्य भी है कि स्वप्न खुदा की रहमत(कृपा) उनकी यह धारणा भी है कि मस्तक-शक्तिकी उपज ही स्वप्न है। (नोट) स्वप्न कर्मानुसार पाते हैं या किसी और प्रेरणा से ? तथा उसका फल कैसे मिलता है ? इसका उत्तर कहीं नहीं दिया गया है। - यदि कर्मानुसार स्वप्न आते हैं और फल भी कर्मानुसार ही होता है तो स्वप्न कोई महत्त्वकी वस्तु नहीं ठहरती। कुछ 'भो हो बुधजन आगमके आधार पर इसे विचार की कसौटी पर कसें और इसे जनसाधारणमें प्रगट करें। सुमित्त भिक्खू

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