Book Title: Swapna Sara Samucchay
Author(s): Durgaprasad Jain
Publisher: Sutragam Prakashak Samiti

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Page 22
________________ दुःखदायी पाते हैं। इस प्रकार के स्वप्न हमारी शारीरिक उत्तेजनाओं के कारण बनते हैं। कभी-कभी आनेवाली बीमारी स्वप्न में दिखाई देती है। यह बीमारी सम्भव है कि उसी रूप में न दिखाई दे, जिस रूप में वह आनेवाली है । हम देखते हैं कि कोई बड़ा राक्षस हमें त्रास दे रहा है, या कोई भूत हमें सता रहा है। इस प्रकार के स्वप्न आनेवाली बीमारियों के सूचक होते हैं। इन स्वप्नों का कारण शारीरिक उत्तेजनाएँ होती हैं। हमारे अचेतन मन की शक्ति चेतन मन की शक्ति से कहीं अधिक है। हम मन की अचेतन अवस्था में शरीर के उन अनेक विकारों को जान लेते हैं, जो भविष्य में बीमारी के रूप में प्रगट होते हैं। अपने सम्बन्धी की मृत्यु, किसी राक्षस से लड़ना, ऊपर से गिरना आदि भयंकर स्वप्न अवांछनीय मानसिक ग्रन्थियों के परिणाम होते हैं। जिस व्यक्तिके मन में पिता के प्रति वैर-भाव होता है, वह ऐसे स्वप्न देखता है, जैसे किसी बड़े आदमी के मरने का स्वप्न, शिक्षक के मरने का स्वप्न आदि । मन दूषित होने पर इस प्रकार के अनेक स्वप्न पाते हैं। इसी तरह जिस व्यक्ति के मन में किसी व्यक्ति के प्रति प्रेबल द्वेष-भाव होता है, अथवा जो किसी से ईर्ष्या या घृणा करता है, वह ऐसे स्वप्न देखता है, जिन में उसके भावों का प्रकाशन होता है । एक व्यक्ति को कुछ वर्ष पूर्व बार-बार हिन्दू-मुसलमानों के दगों के स्वप्न हना करते थे। इन दंगों में व्यक्ति अपने आप को बड़े संकट की अवस्था में पाता था। इस स्वप्न को एक बार उसने एक मनोवैज्ञानिकसे कहा । उसने बताया,कि इसका कारण उसकी मुसलमानों के प्रति द्वेष-भावन । है । लेकिन वह इस बात को स्वीकार

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