________________
ह । किन्तु कुछ स्वप्नज्ञ-अनुभूत लोगों ने इसके संक्षेपमें बहुत से अलग-अलग नौ कारण इस प्रकार गिनाये हैं। जिन्हें अनुभव द्वारा द्रव्य तथा भाव के रूप में जानने की अपेक्षा है। ___ स्वप्न पाने के नौ कारण-मनुष्योंको नौ तरहसे भी स्वप्न आते हैं, जानी हुई बात १, देखी हुई बात. २, सुनी हुई बात ३, वातपित्त और कफ के विकार से ४, सहजभाव से अथवा मल मूत्र के वेग को रोकने से ५, चिन्ता करने से ६, इन छः कारणों से आये हुए स्वप्न निष्फल जाते हैं, इनसे किसी प्रकार का शुभाशुभ फल नहीं होता।
तब देवके अनुष्ठान या सान्निध्यसे ७, धर्म कर्म में सावधान रहने वाले प्राणीको अधिक धर्मभावस्थ रहने से, अधिक पुण्य के योग से ८, अधिक पापके द्वारा तीव्र पापोदयसे ६, इन पिछले तीन कारणोंसे आये हुए स्वप्न शुभाशुभ फल देते हैं । यथासंभव वृथा नहीं जाते। तथा धातु प्रकोपसे, वायु का बल बढ़ने से उसे वृक्ष, पर्वत या टीलोंपर चढ़ना, आकाश में उड़ना, आदि ऐसे-ऐसे अनेक जाँजालिक स्वप्न आते हैं । पित्तके प्रकोप से सोना, रत्न, सूर्य, अग्नि आदिके नाना स्वप्न देखता है । तथा ऐसे ही कफकी बहुलताके योगसे अश्व, नक्षत्र, चन्द्रमा, शुक्लपक्ष, नदी, सरोवर, समुद्र इत्यादि का लांघना देखता है, ये सब निरर्थक और निष्फल हैं।
सार्थक स्वप्न-वृषभ, हाथी, महल, पर्वत, या टीलोंपर अपनेको चढ़ा देखे तो बड़प्पन मिलने का लाभ होता है । विष्टे से लिपा सना शरीर देखे तो निरोगता पाता है। स्वप्न में रोने पर हर्षका संयोग पाता है। राजा, हाथी, घोड़ा, सोना, बैल, गाय, अपना कुटुम्ब आदि का स्वप्न देखे तो कुलवृद्धिका रूपक बन जाता है। प्रसादके ऊपर चढ़कर भोजन करना, समुद्र में