Book Title: Swapna Sara Samucchay
Author(s): Durgaprasad Jain
Publisher: Sutragam Prakashak Samiti

View full book text
Previous | Next

Page 36
________________ जीवादि दंडकका उद्देश्य रखकर भावसे सोया और जाग्रतका कथन किया गया है। जो जीव सर्वविरतिरूप नैश्चयिक जाग्रति के विना अविरत हैं वे सोये पड़े हैं, और जो सर्वविरतिरूप जाग्रतियुक्त हैं वे भावजागरण में जाग्रत हैं, और जो.अविरतवाले और फिर किसी अंशमें विरत हैं वे सोते जागते कहलाते हैं, ऐसा मत टीकाकार का है ,x x x । ८-स्वप्नोंके प्रकार-भगवन् ! साधारण स्वप्न कितने प्रकारके होते हैं, ? वे स्वप्न ४२ प्रकारके हैं। c-महास्वप्नोके प्रकार-महास्वप्न कितने होते हैं ? गोतम ! महास्वान तीस प्रकारके होते हैं। (१०) सब स्वप्नोंके प्रकारभगवन् ! सब मिलकर कितने स्वप्न हैं ? गोतम ! सब ७२ स्वप्न हैं। तीर्थंकरको माता कितने स्वप्न देखती है ? ११-भगवन् ! जब तीर्थंकरके जीव गर्भ में प्रवतरित होते हैं सब तीर्थंकरकी माता कितने स्वप्न देखकर जाग्रत होती हैं ? ___ गोतम ! जब तीर्थंकरके जीव गर्भ में अवतरित होते हैं तब सीयंकरकी मातायें तीस महास्वप्नोंमें से १४ स्वान देखकर जाग्रत होती हैं वे ये हैं-हाथी १.वृषभर,सिंह३,लक्ष्मी४, फूलों की माला५.चन्द्रमा ६,सूर्य ७,ध्वजा८,कलश ६,पद्मसरोवर १०,क्षीरसमुद्र ११,देवविमान१२,रत्नोंका ढेर१३,अग्नि-शिखा १४ । १२-चक्रवर्तीकी माता-भगवन् ! जब चक्रवर्तीका जीव गर्भ में अवतरित होता है तब चक्रवर्तीकी मातायें कितने स्वप्न देखकर जाग्रत होती हैं ?

Loading...

Page Navigation
1 ... 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100