Book Title: Swapna Sara Samucchay
Author(s): Durgaprasad Jain
Publisher: Sutragam Prakashak Samiti

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Page 25
________________ २० अवस्था में हमें प्राप्त नहीं होता, तो वह स्वप्न में प्राप्त होता है। हमारा साधारण विश्वास है, कि स्वप्न हमारी नींद को भंग करता है। यह विश्वास भ्रान्त है। स्वप्न तो दैनिक जीवनके अंग हैं । बहुतसे लोग कहा करते हैं, कि हमें स्वप्न नहीं होते। इस कथनको प्रामाणिक न समझना चाहिये । वास्तवमें हम अनेक स्वप्न जागते ही तुरन्त भूल जाते हैं। जो व्यवस्था स्वप्नों के अनेक रूपोंके बननेका कारण होती है वही व्यवस्था स्वप्नोंके अनुभव को भुलानेका कारण भी बन जाती है। ___स्वप्न कम किये जा सकते हैं अथवा नहीं, इस विषय पर वैज्ञानिक ढंगसे बहुत कम विचार किया गया है । इतना अवश्य है कि यदि उत्तेजनाओंमें कमी हो जाय तो स्वप्नोंमें भी कमी हो सकती है । दुःखद स्वप्नकी कमी हम प्रयत्न करने पर अवश्य कर सकते हैं। दुःखद स्वप्नोंके बाहरी कारणों पर नियंत्रण करना सरल है। स्वच्छ स्थानमें सोने तथा सोते समय मल-मूत्र त्याग कर सोनेसे अप्रिय स्वप्नों में कमी हो सकती है । आन्तरिक उत्तेजनाएं धीरे-धीरे कम की जा सकती हैं। शत्रुओं द्वारा त्रस्त होने के स्वप्न तथा दूसरे प्रकारके दुःखदायी स्वप्न मैत्री भावके अभ्याससे कम किए जा सकते हैं । मैत्री भावका अभ्यास सब प्राणियोंके प्रति सद्भावनाका अभ्यास है। सोते समय इस प्रकारका अभ्यास विशेषतः लाभकारी होता है । सोते समय यदि हम अपने आपसे यह कहकर सोएँ, कि 'हम सबके मित्र हैं और सभी हमारे मित्र हैं, सबका कल्याण हो; संसारके सभी प्राणी सुखी हों'; तो यह भावना थोड़े ही दिनोंमें दुःखद स्वप्नोंका पाना बन्द कर देगी। एक व्यक्तिके प्रति हमारी दुर्भावना अथवा सद्भावना प्राणि-मात्र

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