Book Title: Sthanang Sutram Part 02
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

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Page 12
________________ ७३ मोहके विपयभूत कपायोंका भेद सहित निरूपण ४६२-४७६ ___कालत्रयवर्ती कपागोंका निरूपण ४७६-४८ प्रतिमाके स्वरूपका निरूपण ४८४-४८७ ७४ जीवास्तिकायके विपरीत अजीवास्तिकायका भेद सहित निरूपण ४८८-४८९ '७५ . फलके दृष्टान्त से पुरुषादिका निरूपण ४९०-४९३ ७६ सत्यासत्य निमित्तक प्रणिधान के स्वरूपका निरूपण १९४-५०० ७७ पुरूपके स्वरूपका निरूपण ५००-५१४ ७८ 'लोकपालादिकों के स्वरूपका निरूपण ५१४-५२६ ७९ प्रमाणके स्वरूपका निरूपण ५२६-५३० - ८० दिक्कुमारि महत्तरिकाओंका निरूपण ५३१-५३४ ८१ भेदसहित दृष्टिवादका निरूपण ५३४-५३६ ८२ प्रायश्चित्तका निरूपण ५३६-५४१ ८३काल के स्वरूपका निरूपण ५४१-५४४ पुद्गलों के परिमाणका निरूपण ५४५-५४६ जीवद्रव्य के परिणामोंका निरूपण ५४६-५५० दुर्गति-सुगतिरूप परिणामों के एवं दुर्गत-सुगतों के भेदोंका निरूपण ५५१-५५५ क्षयके परिणामों के क्रमका निरूपण ५५५-५५७ हास्यके कारणोंका निरूपण दृष्टान्त दार्टान्तिक पूर्वक अन्तरसूत्रका निरूपण ५५९-५६१ भेदसहित भृतकका निरूपण ५६२-५६५ देवत्वका निरूपण ५६६-५७३ ९२, विकृतिके स्वरूपका निरूपण ९३ . दृष्टान्त और दार्टान्तिक सहित कूटागार आदिका निरूपण ५७५-५७७ ९४ दार्शन्तिक स्त्री सूत्रका निरूपण ९५ - प्राप्तिका निरूपण ५७८-५७९ ५८०-५८१ ५५८ ५७३-५७४

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