Book Title: Sthanang Sutram Part 02
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

View full book text
Previous | Next

Page 13
________________ ९८ ९९ १०० १०३ १०४ १०५ १०६ १०७ १०८ चौथे स्थानका दूसरा उद्देशा प्रतिसंलीन और अप्रतिसंलीनका निरूपण ५८२-५८५ दीनके स्वरूपका निरूपण ५८६-५९२ आर्यादि पुरुषके स्वरूपका निरूपण ५९३-५९५ वृपभके द्रष्टान्तसे पुरुपके स्वरूपका निरूपण ५९६-६०१ हाथोके दृष्टान्तसे पुरुषके प्रकारका निरूपण ६०२-६११ विकथाके स्वरूपका निरूपण ६१२-६२९ कायविशेषका निरूपण ६२९-६३४ व्याघात के स्वरूपका निरूपण ६३४-६४० स्वाध्यायमें कर्तव्यता-अकर्तव्यताका निरूपण ६४१-६४४ स्वाध्यायमें प्रवृत्त हुवेको लोकस्थितिका निरूपण ६४४-६४६ त्रसपाण विशेष के स्वरूपका निरूपण ६४६-६५२ गह के स्वरूपका निरूपण ६५२-६५६ दोपत्यागी जीवके स्वरूपका निरूपण ६५६-६६८ कारण उपस्थित होने पर साधुको अथवा साध्वीजीको परस्परमें आलापकादिमें आराधकत्वका निरूपण ६६९-६७० तमस्कायके स्वरूपका निरूपण ६७०-६७५ सेनाके दृष्टान्त द्वारा पुरुषों के प्रकारका निरूपण ६७५-६८१ पर्यत-राज्य आदिके दृष्टान्त से कपायके स्वरूपका ___ और उनको जीतने के प्रकारका निरूपण ६८२-६९७ संसारके स्वरूपका निरूपण ६९७-७०० आहारके स्वरूपका.निरूपण ७००-७०२ कर्मवन्धके स्वरूपका निरूपण ७०२-७२३ एक-कति और सर्व शब्दकी प्ररूपणा ७२३-७३० मानुपोत्तर पर्वत के कूटोंका निरूपण ७३०-७३२ जम्बूद्वीपगत भरत और ऐरवत पर्वतके कालका निरूपण ७३३-७४६ १०९ । ११० ११३ ११६ ११७ ११८

Loading...

Page Navigation
1 ... 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 ... 822