Book Title: Sthanang Sutram Part 02
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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प्रत्यनीक स्वरूपका निरूपण
२७६-२८२ मातापिताके अङ्ग के विभागका निरूपण २८३-२८४ श्रामण्यपर्याय को प्राप्त हुवा जीव जिनजिन कारणोसे विशिष्ट निर्जरा करता है उन उन कारणोंका
निरूपण २८४-२८९ पुद्गलोंके परिणाम विशेषका निरूपण
२८९-२९७ भेद सहित ऋद्धिके स्वरूपका निरूपण
२९७-३०५ गौरवादि भेदोका निरूपण
३०५-३११ निवृत्तिके भेदोंका निरूपण
३१२-३२० लेश्याओंका निरूपण
३२०-३२५ मरणका निरूपण
३२५-३३१ मरणके अनन्तर हिताहितके स्वरूपका निरूपण ३३१-३३८ पृथिवीके स्वरूपका निरूपण
३३९-३४२ नारकोंकी उत्पत्तिका निरूपण
३४३-३४९ तीर्थकरके विमानोंका वर्णन
३४९-३५१ कर्मके तीन स्थानोंका निरूपण
३५२-३५४ पुद्गल स्कंधका निरूपण
३५५-३५६ चौथे स्थानकके पहला उद्देशक
५६
३५७
६२
'मङ्गलाचरण अन्तक्रियाका निरूपण
३५८-३६९ वृक्षदृष्टान्तसे पुरुषोंका निरूपण
३७०-३९१ प्रतिमाप्रतिपन्न पुरुषके कल्पनीय भाषादिका निरूपण ३९२-३९४ वस्त्रदृष्टान्तसे पुरुषादिका निरूपण
३९५-४०२ सुतादि दृष्टान्तसे पुरुषादिका निरूपण
४०२-४१२ धुण दृष्टान्तसे पुरुषादिका निरूपण
४१३-४१९ वनस्पतिका निरूपण
४१९-४२७ ध्यानके स्वरूपका निरूपण
४२७-४५९. भेद सहित देवोकी स्थितिका निरूपण
४५९-४६२.
६७
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