Book Title: Sthanang Sutram Part 02 Author(s): Ghasilal Maharaj Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti View full book textPage 9
________________ ソ अनुक्रमाङ्क ७ 3,6 १० ११ १२ '१३ - १४ - १५ १६ १७ . १८ स्थानाङ्गसूत्र भा. २ दूसरेकी विषयानुक्रमणिका विषय तीसरे स्थानका दूसरा उद्देशा दूसरे उदेशेका विषय विवरण लोक स्वरूपका निरूपण चमरादिकों की परिषद्का निरूपण धर्म विशेषकी प्रतिपत्तिका निरूपण वोधिशब्द से अभिधेय धर्मादिका निरूपण भेदसहित ज्याका निरूपण तारोपण के कालका निरूपण पुरुपके भेदों का निरूपण संसारी जीवोंकी प्ररूपणा पूर्वक सर्वजीवका निरूपण दिशाओंका और दिशाओंके आश्रित होनेसे गत्यागतिका निरूपण सजीवोंका और उनसे विपरीत स्थावर जीवों के स्वरूपका निरूपण जीवपदार्थका निरूपण दुःख के स्वरूपका निरूपण परमतका निराकरण पूर्वक स्त्रमतका निरूपण तीसरा उद्देशा कपायवाले जीवोंकी मायाका निरूपण आलोचना आदि करनेवालेका निरूपण शुद्धिकरनेवालोंकी आभ्यन्तर और वाह्य संपत्तिका निरूपण वस्त्रग्रहण के कारणोंका निरूपण पृष्ठाङ्क १ २-५ .६-९ १०-१४ १५-१६ १७-२२ २३-२६ २६-३९ ३९-४३ ४४-५३ ५३-५६ ५५-५७ ५८-६२ ६२-७१ ७२-७७ ७८-८१ rt ८१-८३ ८३-८४Page Navigation
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