Book Title: Smruti Sandarbh Part 02
Author(s): Maharshi
Publisher: Nag Publishers

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Page 9
________________ [ ४ ] अध्याय प्रधानविषय पृष्ठाङ्क १ तपस्या तथा वनस्थली में राग, द्वेष, मल प्रक्षालनार्थ ६२५ निवास करना परमावश्यक है। . पराशरजी के आश्रम पर व्यास प्रमुख सब ऋषि गये पराशरजी ने मानवीय सदाचार द्वारा आश्रम में आये हुये सब का स्वागत किया। व्यासजी ने पितृभक्ति से पराशरजी को प्रणाम कर निवेदन किया : "यदि जानासि मे भक्ति स्नेहाद्वा भक्तवत्सल ? धम कथय मे तात ! अनुग्राह्योह्ययं तव" ॥ (पुत्र पिता से सर्वोच्च वस्तु क्या चाहता है यह समुदाचार इस प्रश्न से सरलता से ज्ञात हो रहा है ) व्यासजी कहते हैं कि भगवन् ! यदि मेरी भक्ति को आप जानते हैं या मेरे स्नेह को तो मुझे धर्म का उपदेश कीजिये जिससे मैं आपका अनुगृहीत होऊंगा। पुत्र पिता से सबसे बड़ा धन धर्म मांगता है यह भारत की संस्कृति है (एक ओर व्यासजी की पिता की निधि धर्म जिज्ञासा, दूसरी ओर संसार में देखो पैतृक धन संपत्ति पर न्यायालयों में पुत्र पिता पर अभियोग चलाते हैं। इससे सांस्कृतिक जीवन, असांस्कृतिक जीवन का सरलता से ज्ञान हो जायगा। संस्कृति उसे कहते हैं जिससे धर्म

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