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[ ५५ ] अध्याय प्रधानविषय
पृथक बताया है और गौ का दान अक्षय फलवाला बताया है [३०७-३१३]। १६ प्रकार के वृथा
दान का वर्णन [३१४-३२३]। १० दानग्राद्य पुरुषलक्षण वर्णनम् । ८६७
दातव्य वस्तु के दान का माहात्म्य, किसका कैसा दान देना व लेना, उसकी विधि जैसे गौ का पूंछ पकड़ कर उसके कान में कुछ कह कर दान करे । इस तरह अन्य दान की विधि, प्रतिग्रह लेने पर विशेष विधि, अश्व दान का विशेष विधान, अश्व
दान लेने की विधि [३२४-३४१] । १० मास, पक्ष, तिथि विशेषेण दान महत्त्व वर्णनम् ८६८
श्रावण शुक्ला द्वादशी को गोदान का माहात्म्य [३४३]। पौष शुक्ला द्वादशी को घृतधेनु का विधान [३४४] । माघ शुक्ला द्वादशी को तिलधेनु का विधान [३४५] । ज्येष्ठ शुक्ला द्वादशी को जलधेनु का विधान [ ३४६] । काल, पात्र, देश में दान का माहात्म्य [३४७-३४६] । ग्रहण काल में दिया हुआ दान अक्षय होता है [३५०-३५२] । वैशाख, आषाढ़, कार्तिक, फाल्गुन की पूर्णिमा को