________________
[ १२ ] अध्याय
प्रधान विषय किसी का मत है कि बीमारी से किसी स्त्री का रज निकलता हो तो उसे अशुद्ध नहीं मानते हैं (१८)। कांस्य, मिट्टी आदि के पात्र एवं वनों की शुद्धि के सम्बन्ध में बताया है ( १६-३५)। सड़क में पानी, नाव और पक्के मकान इनको शुद्ध बताया है इनको अशुद्ध नहीं कहते हैं । (३६)। वृद्ध स्त्री और छोटे बालक ये अशुद्ध नहीं होते हैं। पापियों के साथ बातचीत करने पर दाहिना कान छू देने पर शुद्धि बताई गई है (२७ समाप्ति)।
८ धर्माचरणवर्णनम् ।
६५५
प्रथम श्लोक में गाय को बाँधने से जो मृत्यु हो जाय उसके प्रायश्चित्त के सम्बन्ध में है। पाप की व्यवस्था कराने के लिये धर्माधिकारी परिषद्
का वर्णन है ( २-२१)। ८ निन्द्य ब्राह्मणवर्णनम् ।
६५७ जो ब्राह्मण न लिखे पढ़े तो उन्हें पतित और उनका प्रायश्चित्त है (२२-२७)। पञ्च यज्ञ करनेवाले और वेद पढ़े लिखे ब्राह्मण की प्रशंसा ( २८-३१ )। राजा को बिना विद्वान ब्राह्मणों के पूछे स्वयं व्यवस्था नहीं देनी