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[ ४६ ] अन्याय . प्रधानविषय
पृष्ठाङ्क ८ आया है [१७२-१७४ ] । हंस, कौआ, गीध, .
बन्दर आदि के वध का प्रायश्चित [१७५-१७८] । तोता, मैना, चिड़ी इनके वध करने का प्रायश्चित्त बताया है [ १७६-१८०]। बाज, चील के मारने का प्रायश्चित्त [ १८१]। मंडूक, गीदड़, शाखामृग (बंदर) महिष, ऊँट आदि जंगली जानवरों के मारने का प्रायश्चित्त [ १८२-१८७]। अभक्ष्य के खाने का प्रायश्चित्त और रजस्वला स्त्री के छूये हुए खाने का प्रायश्चित्त बताया है [ १८८-१६१]। दांतों के अन्दर गया हुआ उच्छिष्ठावशेष को खाने का तथा अपना ही जूठा जल पीने का प्रायश्चित्त है [ १९२]। जिस जल में कपड़े धोये जाते हैं उस पानी के पीने से प्रायश्चित्त बताया है [ १६३१६४]। वेश्या, नट की स्त्री, धोबी की स्त्री आदि के सहवास के पापों का प्रायश्चित्त बताया है [१६५-२००] । कसाई के हाथ का मांस खाने का प्रायश्चित्त [२०१-२०२]। जिनके घर का अन्न नहीं खाना चाहिये जैसे वेश्या आदि के घर खाने का प्रायश्चित्त कहा है [२०३-२०८]। बाएँ हाथ से भोजन करने का दोष बताया है [२०६ २११] । बाएँ हाथ से भोजन करना सुरा तुल्य