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( ४४ ) अध्याय प्रधान विषय
पृष्ठाङ्क वर्णन, श्राद्ध में जो जो विधान करने हैं उनका पूरा वर्णन, श्राद्ध के सम्बन्ध में जितनी बातों की . जानकारी चाहिये उन सबका वर्णन इस अध्याय .
में सविस्तर दिखाया गया है (:१७३-३६६)। . ८ शुद्धि वर्णनम् । ..
८२६ सूतक और अशौच का निर्णय किया गया है। सूतक बच्चे के जन्म होने से जो छूत होती है उसे कहते है। अशौच मृत्यु की छूत को कहते हैं (१-२)। किसको कितने दिन का सूतक पातक लगता है उसका विचार किया गया है (३-२५)। अनाथ मनुष्य की क्रिया करने से अनन्त फल होता है तथा स्नान करने पर ही शुद्धि बताई गई है (२६-२७)। गर्भपात का सूतक जितने महीने का गर्भ हो उतने दिन के सूतक का निर्णय, अमि, अङ्गार, विदेश आदि में जो मर जाते हैं उनका सद्यःशौच अर्थात् तत्काल स्नान करने से शुद्धि कही गई है। जिन बच्चों को दाँत नहीं निकले हैं उनके मरने पर सद्यःशौच और जो जन्मते ही मर गये हैं उनका भी सद्यःशौच कहा है। इनका अग्नि संस्कार आदि कुछ नहीं होता। किसी के घर में विवाह उत्सव आदि हो और यदि वहां