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[ ४० ] अध्याय
प्रधान विषय .. इसका वर्णन (३३२-३४०)। बछड़े के मुख से जो
दूध गिर जाता है उसको शुद्ध बताया है तथा अन्यान्य शुद्धियां बताई है (३४१-३४४)। जो चीज शुद्ध हैं उनका वर्णन, स्त्री के शुद्ध होने का वर्णन आया है ( ३४५)। अनध्याय वर्णनम् ।
. ७८८ अनध्याय अर्थात् जिस समय वेद नहीं पढ़ना चाहिये उसे बताया है (३५४-३६६)। जोअनध्याय में वेदाध्ययन करता है वह निष्फल होता ह ऐसा बताया है (३६७-३७०)। स्वर हीन वेद पढ़ने का पाप और वज्ररूप फल बताया है ( ३७१-३७२)। "ये स्वाध्यायमधीयीरन्ननध्यायेषु लोभतः। वज रूपेण ते मन्त्रास्तेषां देहे व्यवस्थिताः" ॥ मनुष्यों को किसके साथ कैसा व्यवहार, किसीको ताड़न नहीं करना, किन्तु पुत्र और शिष्य को छोड़कर यह बताया है (३७३-३७६) । "न कश्चित्ताड़येद्धीमान् सुतं शिष्यश्च ताड़येत्” । मनुष्यों को आचार का पालन करने से यश और