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[ १५ ] अध्याय प्रधान विषय
पृष्ठाङ्क (१८-२६)। जो स्त्री शराब पीवे उसका पति पतित हो जाता है ऐसी पतित स्त्री के पुरुष को कोई चान्द्रायण व्रत नहीं है (२७)। जार से जो स्त्री संतान पैदा करे उसे दूसरे देश में त्याग देना चाहिए (२८-३२)। पतित स्त्री का प्रायश्चित्त यदि पति चाहे तो वो भी कर सकता है (३३-३४)। जो स्त्री जार के घर चली जाय फिर वहां से भाग कर यदि पिता के घर आजाय तो वह जार का घर समझा जायगा। काम और मोह से जो स्त्री अपने बच्चों को छोड़ कर जार के घर चली जाय तो
उसका परलोक नष्ट हो जाता है ( ३५-४२)। ११ अभक्ष्यभक्षणप्रायश्चित्त वर्णनम् ।
६७० अभक्ष्य भक्षण का प्रायश्चित्त- गोमांस एवं चाण्डाल के अन्नादि भक्षण का प्रायश्चित्त (१-७)। एक पंक्ति पर बैठे हुए में से एक भी भोजन करने वाला उठ जाय तो जो खाता रहे उसको प्रायश्चित्त बतलाया क्योंकिहै वह अन्न दृषित हो जाता है (८-१०)। पलाण्डु (प्याज ) वृक्ष का निर्यास, देवता का धन और ऊँट, भेड़ का दूध खानेवाले को प्रायश्चित्त (११-१४) । अज्ञान से जो किसी के घर सूतक का अन्न खाले उसको प्रायश्चित्त ( १५-२०)। ब्राह्मण से शूद्र कन्या में उत्पन्न